सोमवार, मार्च 15, 2010

मीडिया का अनुपूरक है ब्लॉग : पियूष पांडे

चैत्र-नवरात्रि साधना पर्व पर सभी का हार्दिक अभिनन्दन है . मित्रों कल मेरे एलबम बावरे-फकीरा को  रिलीज़ हुए पूरा एक वर्ष हो गया है. इस सूचना के साथ बिना आपका समय जाया किये सीधे आदरणीय पियूष पांडे जी से आपकी मुलाक़ात कराना चाहूंगा हिन्दी ब्लागिंग को लेकर कतिपय साहित्यकारों की टिप्पणियों को उनकी व्यक्तिगत राय मानने वाले पांडे जी से उनकी कविताएँ भी इस पाडकास्ट में उपलब्ध हैं.


  हिन्दी लोक के प्रस्तोता की पसंद शायद आपकी  पसंद भी हो 
                

11 टिप्‍पणियां:

दीपक 'मशाल' ने कहा…

Bawre Fakira ki pahli saalgirah par badhai..

शरद कोकास ने कहा…

रनिंग कमेंट्री ..? आज जरा देर हो गई है कल ...।

राज भाटिय़ा ने कहा…

हमारी तरफ़ से भी बहुत बहुत बधाई

राज भाटिय़ा ने कहा…

इस सुंदर गीत के लिये भी धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा लगा बातचीत सुनकर पीयूष जी से.

नव संवत्सर 2067 व नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं.

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

Bawre Fakira ki pahli saalgirah par badhai..

Kulwant Happy ने कहा…

वार्ता बेहद सार्थक थी, लेकिन एक नाम बार बार बज रहा था, जिसको न मैं जानता हूँ, और न जाना चाहूंगा, बस जरूर कहना चाहूंगा कि हर आँख हर अलग सोच का आईना है। मुझे तो बस इतना पता है कि मुझे क्या करना है।

ब्लॉगिंग का एक सकारात्मक पहलू, आज विदेशों में बैठे, साईबर कैफों में बैठे, मुंशी प्रेम चंद, हरिवंश राय बच्चन को नहीं बल्कि नए लेखकों को पढ़ने हैं, जो समय के अनुकूल और सही है।

Girish Billore ने कहा…

Aap sabhee kaa shukriyaa

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और मनभावन!
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं.

Jandunia ने कहा…

अच्छी कोशिश है

Chandan Kumar Jha ने कहा…

अच्छा लगा ।

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