24.2.10

कुंवर मिथलेश दुबे ने तलाश ली है अपनी शरीके हयात ?पाडकास्ट

पाडकास्ट 



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ललित जी का नज़रिया देखिये हेड फोन लगाते नहीं बस  डाँटते  रहते है ललित भैया मुझे 
भाई गिरीश बिल्लौरे जी ने जब से पोडकास्ट शुरू किया है...........वो की बोर्ड से लिखना ही भूल गये है.....अब बात भी पॉडकास्ट की भाषा में होती है...............बस दिन रात का एक ही काम रह गया है पॉडकास्ट......तो भैया समय हो तो कभी लिख भी लिए करो आज पॉडकास्ट में धमाल है विवेक रस्तोगी के साथ......सुनिए.......और गुनिये......... पदम् सिंग  जी प्द्मावली पर एक बहुत विचारनीय स्मरण लेकर आये हैं......रेलवे स्टेशन पर घटी एक घटना ने इन्हें लिखने को मजबूर कर दिया.......छोटा सा बडप्पन......जब भी उधर से गुजरता हूँ , नज़रें ढूंढती रह जाती हैं उसे लेकिन फिर कभी नहीं दिखा मुझे वहां, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़  शहर के रेलवे स्टेशन का जिक्र करता हूँ….. Friday, ‎February ‎24, ‎2006 दोपहर के बाद का समय था…हलकी धूप थी. गुलाबी ठण्ड में थोड़ी धूप अच्छी भी लगती है और ज्यादा धूम गरम भी लगती है … स्टेशन पर बैठा इंतज़ार कर रहा था और ट्रेन लगभग एक घंटे बाद आने वाली थी ….. बेंच पर बैठे बैठे जाने क्या सोच रहा था …

20 टिप्‍पणियां:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वाह जी मजा आ गया अच्छी खिंचाई हुई है, बारात की भी बात हो गई है :)

Udan Tashtari ने कहा…

आप तो बात बात पर मिथलेश बाबू को लजवा दिये भाई..:) ऐन होली पर पूरा भंडा फुड़वा कर मानियेगा क्या...हा हा!! मजा आया सुन कर.

बेनामी ने कहा…

bahut khub, kuch likhna nahi ho raha hai to sabki awaj hee post kar do, accha mithlesh se milkar

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

haaan haaaan kyaa baat hai aaj to mithlesh ke kai anchhuye pahlu ujaagar huye
saadar
praveen pathik
9971969084

जय हिन्दू जय भारत ने कहा…

अरे वाह दुबे जी आप तो बहुत बड़े छुपे रुस्तम निकले , आब जाके पता चला कि आप कैसे इतनी बढ़िया-बढ़िया कवितायें लिखते है वह भी डुबकार , आखिर गिरिश जी ने राज खूलवा ही दिया, मजा आ गया आपकी बात सूनकर , और हाँ बारात के लिए कार्ड इधर भी भिजवा दीजियेगा ।

Unknown ने कहा…

क्या दुबे जी आपने कभी कुछ बताया नहीं इसके बारे में , इसके लिए शिकायत है आपसे । गिरीश जी तो सबको फास लेते हैं अपनी बातो मे , आपको भी नहीं छ़ोडा़ , बहुत बढ़िया आपकी बातें सुनकर । होली मुबारक हो आपको ।

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

mithilesh ke baare mein janana accha laga..
aabhar

shikha varshney ने कहा…

हा हा हा होली के रंगों से रंगी मस्त वार्ता...मजा आ गया.

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

निर्मला कपिला ने कहा…

ांरे इसने तो माँ की लाज भी नही रखी ये छोरा तो हाथ से निकल गया \जब मैं पूछती थी कि बेटा तुम्हारे ल़ाण अच्छे नज़र नही आते इतनी प्रेम कवितायें लिखने लगे हो तो झूठ बोल देता था गिरीश जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद इस का मुह खुलवाने के लिये। इसकी आवाज़ अक्सर सुनती रहती हूँ खूब मक्खन लगा लगा कर बातें करता है इसे बहुत बहुत आशीर्वाद सब तैयार रहना कार्ड भेजती हूँ ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

यह बात तो सही कही कि बड़े ब्लोग्गर .... जिनका तुमने नाम नहीं लिया है... वही ज्यादा करते हैं...


बहुत देर से कमेन्ट देने की कोशिश कर रहा हूँ.... लेकिन कमेन्ट पोस्ट ही नहीं हो रहा था....

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

हां! षड्यंत्र का शिकार तो हम यहाँ हो ही चुके हैं....

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

हाँ! बिलकुल चिंता मत करना... तुम बहुत सफल हो.... इसी बात का रोना है.... सबके लिए....

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

नहीं नहीं.... कहीं से भी आभासी दुनिया नहीं है.... यह बेवकूफों का कहना ज्यादा है....

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

हाँ ! हाँ ...सुनाओ...जल्दी से सुनाओ...कविता...

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

ख़ैर...मैं तो मिथलेश के बारे में जानता था.... और जो छूट गया था..... वो आज जान लिया.... बहुत अच्छी लगी यह बात चीत....

पता नहीं क्यूँ....कमेन्ट पोस्ट ही नहीं हो रहा था.... अब जा कर हो रहा है....

बहुत सुंदर बातचीत....

राज भाटिय़ा ने कहा…

अभी सुंन रहा हुं चेहरा हमे भी जरुर दिखाये जी

Astrologer Sidharth ने कहा…

बहुत अच्‍छा इंटरव्‍यू
होली के साथ उनके कई दूसरे अनछुए पहलुओं को आपने निकालने की कोशिश की वह लाजवाब है

रानीविशाल ने कहा…

Mithilesh bhaai se baatchit bahut rochak lagi...
!!

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

बहुत सुंदर बातचीत। जो खुला वही खिल गया मुकुल जी के पॉडकास्‍ट में।

Wow.....New

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