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ललित जी का नज़रिया देखिये हेड फोन लगाते नहीं बस डाँटते रहते है ललित भैया मुझे
भाई गिरीश बिल्लौरे जी ने जब से पोडकास्ट शुरू किया है...........वो की बोर्ड से लिखना ही भूल गये है.....अब बात भी पॉडकास्ट की भाषा में होती है...............बस दिन रात का एक ही काम रह गया है पॉडकास्ट......तो भैया समय हो तो कभी लिख भी लिए करो आज पॉडकास्ट में धमाल है विवेक रस्तोगी के साथ......सुनिए.......और गुनिये......... पदम् सिंग जी प्द्मावली पर एक बहुत विचारनीय स्मरण लेकर आये हैं......रेलवे स्टेशन पर घटी एक घटना ने इन्हें लिखने को मजबूर कर दिया.......छोटा सा बडप्पन......जब भी उधर से गुजरता हूँ , नज़रें ढूंढती रह जाती हैं उसे लेकिन फिर कभी नहीं दिखा मुझे वहां, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ शहर के रेलवे स्टेशन का जिक्र करता हूँ….. Friday, February 24, 2006 दोपहर के बाद का समय था…हलकी धूप थी. गुलाबी ठण्ड में थोड़ी धूप अच्छी भी लगती है और ज्यादा धूम गरम भी लगती है … स्टेशन पर बैठा इंतज़ार कर रहा था और ट्रेन लगभग एक घंटे बाद आने वाली थी ….. बेंच पर बैठे बैठे जाने क्या सोच रहा था …
20 टिप्पणियां:
वाह जी मजा आ गया अच्छी खिंचाई हुई है, बारात की भी बात हो गई है :)
आप तो बात बात पर मिथलेश बाबू को लजवा दिये भाई..:) ऐन होली पर पूरा भंडा फुड़वा कर मानियेगा क्या...हा हा!! मजा आया सुन कर.
bahut khub, kuch likhna nahi ho raha hai to sabki awaj hee post kar do, accha mithlesh se milkar
haaan haaaan kyaa baat hai aaj to mithlesh ke kai anchhuye pahlu ujaagar huye
saadar
praveen pathik
9971969084
अरे वाह दुबे जी आप तो बहुत बड़े छुपे रुस्तम निकले , आब जाके पता चला कि आप कैसे इतनी बढ़िया-बढ़िया कवितायें लिखते है वह भी डुबकार , आखिर गिरिश जी ने राज खूलवा ही दिया, मजा आ गया आपकी बात सूनकर , और हाँ बारात के लिए कार्ड इधर भी भिजवा दीजियेगा ।
क्या दुबे जी आपने कभी कुछ बताया नहीं इसके बारे में , इसके लिए शिकायत है आपसे । गिरीश जी तो सबको फास लेते हैं अपनी बातो मे , आपको भी नहीं छ़ोडा़ , बहुत बढ़िया आपकी बातें सुनकर । होली मुबारक हो आपको ।
mithilesh ke baare mein janana accha laga..
aabhar
हा हा हा होली के रंगों से रंगी मस्त वार्ता...मजा आ गया.
nice
ांरे इसने तो माँ की लाज भी नही रखी ये छोरा तो हाथ से निकल गया \जब मैं पूछती थी कि बेटा तुम्हारे ल़ाण अच्छे नज़र नही आते इतनी प्रेम कवितायें लिखने लगे हो तो झूठ बोल देता था गिरीश जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद इस का मुह खुलवाने के लिये। इसकी आवाज़ अक्सर सुनती रहती हूँ खूब मक्खन लगा लगा कर बातें करता है इसे बहुत बहुत आशीर्वाद सब तैयार रहना कार्ड भेजती हूँ ।
यह बात तो सही कही कि बड़े ब्लोग्गर .... जिनका तुमने नाम नहीं लिया है... वही ज्यादा करते हैं...
बहुत देर से कमेन्ट देने की कोशिश कर रहा हूँ.... लेकिन कमेन्ट पोस्ट ही नहीं हो रहा था....
हां! षड्यंत्र का शिकार तो हम यहाँ हो ही चुके हैं....
हाँ! बिलकुल चिंता मत करना... तुम बहुत सफल हो.... इसी बात का रोना है.... सबके लिए....
नहीं नहीं.... कहीं से भी आभासी दुनिया नहीं है.... यह बेवकूफों का कहना ज्यादा है....
हाँ ! हाँ ...सुनाओ...जल्दी से सुनाओ...कविता...
ख़ैर...मैं तो मिथलेश के बारे में जानता था.... और जो छूट गया था..... वो आज जान लिया.... बहुत अच्छी लगी यह बात चीत....
पता नहीं क्यूँ....कमेन्ट पोस्ट ही नहीं हो रहा था.... अब जा कर हो रहा है....
बहुत सुंदर बातचीत....
अभी सुंन रहा हुं चेहरा हमे भी जरुर दिखाये जी
बहुत अच्छा इंटरव्यू
होली के साथ उनके कई दूसरे अनछुए पहलुओं को आपने निकालने की कोशिश की वह लाजवाब है
Mithilesh bhaai se baatchit bahut rochak lagi...
!!
बहुत सुंदर बातचीत। जो खुला वही खिल गया मुकुल जी के पॉडकास्ट में।
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