5.1.10

सायबर क्राइम :मेरी आई डी का दुरूपयोग

                                                            आज अचानक भोपाल में विभागीय मीटिंग के समय एक +918040932451  से प्राप्त सन्देश का कुछ इस प्रकार था मैं बैंगलोर से बोल रहा हूँ आपके पास ढ़ेड़ करोड़ इ-मेल आई०डी० हैं इस आशय का मेल मुझे मिल गया है मेल के ज़रिये मिले आई डी पर मैंने मेल भेजी है . आपका  उत्तर न मिला इस लिए फोन कर रहा हूँ ?अचानक आए इस फोन का अर्थ अभी तक मुझे समझ न आया लेकिन इस भय से कि फोन करने वाले व्यक्ति किसी साजिश के शिकार  न हों अतएव उनको फ़ौरन sms करके बताया कि यह मेल मेरे आई डी से मेरे द्वारा नहीं किया है ! मित्रों इस घटना का अर्थ जानने की कोशिश कर रहा हूँ किन्तु आप सभी को आगाह कर रहा हूँ इस तरह का कोई भी मेल आप तक पहुंचे तो कृपया तस्दीक ज़रूर कर लीजिए वैसे मैं भी इस घटना की जानकारी सायबर क्राइम विभाग को देना चाहता हूँ यदि बैंगलोर वाले वो फोन कर्ता मुझे कथित रूप से उनको प्राप्त मेल की प्रति भेजें . आप जो भी इस विषय में जानकारी रखतें हैं कृपया तकनीनी आलेख ज़रूर लिखिए
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10 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

बढिया किया आपने पहले ही आगाह कर दिया ।

Udan Tashtari ने कहा…

हम तो मसला ही ठीक से नहीं समझ पाये.

प्रमोद ताम्बट ने कहा…

आजकल ईमेल में कई तरह के फ्रेंडशिप बगैरा के इन्वीटेशन आते हैं, बेहतर है इन्हें खोला ना जाए, इन्हें खोलने पर अपने ईमेल एकाउन्ट के सारे पते ई-चोरों को मिल जाते है फिर वे इस तरह की हरकते करते है। अच्छा किया आगाह किया।

प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

?????????/ कौन है यह

विवेक रस्तोगी ने कहा…

ऐसा कुछ नहीं होता है कि कोई भी आपका पासवर्ड जाने बिना आपका ईमेल एकाऊँट हैक कर पाये, इसीलिये पासवर्ड को सशक्त बनाया जाना चाहिये और उसमें कुछ विशेष चिन्ह भी प्रयुक्त किये जाने चाहिये जिससे पासवर्ड तोड़ना बहुत मुश्किल हो।

किसी भी मेल को खोलने से न तो वायरस लगता है और न ही आपका मेल एकाउँट हैक होता है हाँ अगर कोई लिंक पर आप क्लिक करते हो या कोई फ़ाईल आप अनजानी ईमेल आई.डी. से आई हुई डाउनलोड कर लेते हैं तो, वो आसानी से आपके ब्राऊजर में या कम्प्यूटर में कोई छिपा हुआ साफ़्टवेयर जो कि कुकी या कुछ और भी हो सकता है जो कि आपकी सारी जानकारी उन तक पहुँचा देगा। यहाँ तक कि आप कौन कौन सी साईट पर जा रहे हैं और आपके कम्पयूटर पर भी सीधी पहुँच कर सकता है। इसलिये अनजानी ईमेल में दिये गये किसी लिंक या अटैचमेंट से सावधान रहने की जरुरत है।

बेनामी ने कहा…

गिरीश जी इससे मिलता जुलता किस्सा मेरे साथ भी हो चुका है। अंतर यही है कि वह सब हमारे अपने ही साथियों द्वारा किया गया था।

देखिएगा
http://bspabla.blogspot.com/2009/10/blog-post_20.html

बी एस पाबला

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

ये तो चिंता की बात है-गिरीश जी



चर्चा आपकी "चर्चा मंच" पर

राज भाटिय़ा ने कहा…

अजी काहे घबराते हो, यह सब कोई सिर फ़िरा करता होगा, इस लिये इन पर ध्यान देने की जरुरत नही, मस्त रहो ओर जबाब भी मत दो, ओर बोल दो जो करना है करो....भाड मै जाओ तुम ओर तुम्हारा यह संदेश, फ़िर देखे केसे वो आप को दोवारा फ़ोन करता है, हमे एक बार आया, तो हम चढ गये मामला खत्म

समयचक्र ने कहा…

जरा सोच समझ कर कहीं अकाउंट और मेल दे ..... कभी कभी हम नई जगह पर सदस्य बनने के लिए अपने मेल और पास वार्ड दे देते है .... वही चूक हो जाती है ....

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

mishr ji
sahi hai aisa hee kuchh hua lagata hai

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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