एक अंतर्द्वंद
अपने सर्वज्ञ होकर
जीवन-जात्रा को
विजय-यात्रा मानने का भ्रम...!
अंहकार अपने आप को....महान मानने का ..!!
एक अंतर्द्वंद
अपने अंतस में न झांकना
सच कितना आत्म शोषण है..?
मैं समझता हूँ :-"यही आत्म-शोधन है...?"
मुझे भ्रम है कि प्रहारक होने का
सच कहूं किसी और पर जब प्रहार करता हूँ तो
कई टुकड़े हो जाते हैं मेरे शरीर में बसी आत्मा के .
इन टुकडों से झांकता है एक महाभारत
अपनों से जारी एकाकी युद्ध.....?
हाँ....तबी आता है तथागत समझाने
"बुद्धम शरणम गच्छामि "
जी हाँ ...
मैं संघर्षरत युद्धरत अनवरत
क्योंकि मुझे मेरी ओर आता
हर इंसान दीखता है ...अरि !
ऐसा सभी कर रहें हैं युद्ध जारी है
कोहराम ठहरा नहीं क्यों
किताबें बुकसेल्फ़ में रखी नज़र आतीं हैं बड़े से ताबूत में
सोयी बेज़ुबाँ लाशें !!
Ad
Ad
यह ब्लॉग खोजें
-
सांपों से बचने के लिए घर की दीवारों पर आस्तिक मुनि की दुहाई है क्यों लिखा जाता है घर की दीवारों पर....! आस्तिक मुनि वासुकी नाम के पौरा...
-
संदेह को सत्य समझ के न्यायाधीश बनने का पाठ हमारी . "पुलिस " को अघोषित रूप से मिला है भारत / राज्य सरकार को चा...
-
मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ एवम भुवाणा क्षेत्रों सावन में दो त्यौहार ऐसे हैं जिनका सीधा संबंध महिलाओं बालिकाओं बेटियों के आत्मसम्मान की रक...