गढ़ के दोष मेरे सर कौन मढ़ रहा कहो ?


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अदेह के सदेह प्रश्न कौन गढ़ रहा कहो
गढ़ के दोष मेरे सर कौन मढ़ रहा कहो ?
मुझे जिस्म मत कहो चुप रहो मैं भाव हूँ
तुम जो हो सूर्य तो रश्मि हूँ प्रभाव हूँ !!
मुझे सदा रति कहो ? लिखा है किस किताब में
देह पे ही हो बहस कहा है किस जवाब में
नारी  बस देह..? नहीं प्रचंड अग्निपुंज भी
मान जो उसे  मिले हैं शीत-कुञ्ज भी !
चीर हरण मत करो मत हरो मान मीत
भूलो मत कुरुक्षेत्र युद्ध एक प्रमाण मीत !
जननी हैं ,भगनी है, रमणी हैं नारियां -
सुन्दर प्रकृति की सरजनी हैं नारियां 
हैं शीतल मंद पवन,लावा  ये ही तो हैं
धूप से बचाए जो वो  छावा यही तो हैं !
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टिप्पणियाँ

विधुल्लता ने कहा…
भाई बिल्लौर जी आपकी कविता का भाव और शब्द कारीगरी का सामंजस्य बेहद अच्छा है ख़ास न्तौर पर निम्न पंक्तियाँ देह पे ही हो बहस कहा है किस जवाब में नारी हैं बस देह नहीं प्रचंड अग्निपुंज भी ..bdhai
विधु जी
सादर-प्रणाम
सच माँ से बड़ी और महान
सर्जक हस्ती कौन है ? किंतु
अध्यात्म विहीन समाज ने नारी
को वस्तु या वस्तु विपणन का ज़रिया
बनाना कहाँ तक उचित है
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
Udan Tashtari ने कहा…
बहुत उम्दा रचना दी है. आनन्द आ गया पढ़कर. पहले ऑरकुट में दिखी फिर यहाँ भी.

बधाई.
शानदार रचना. बधाई.

रामराम.
seema gupta ने कहा…
मान जो हमें मिले हम हैं शीतलकुञ्ज भी !

इस पंक्ति ने बरबस ही मन मोह लिया...बेहद शानदार प्रस्तुती....

regards
बेनामी ने कहा…
Guru
vedon men sahee kaha hai jahaan naree kee po ja n ho ?
aapakaa purush hokar naaree par itanaa sundar sochan bha gaya
बवाल ने कहा…
वाह वाह मुकुल भाई,
कितने बड़े अहसास को किस आसानी से शब्दभाव में गूंथ दिया, साहित्य यही है और उसका मक्सद भी यही है.
चीर हरण मत करो मत हरो मान मीत महाभारत का तुम्हें होगा तो ज्ञान मीत.
बड़ा सन्देश दिया आपने.
एक ठोस रचना है |

हर युगल पंक्ति कठोर प्रश्न करती है | नारी का सम्मान कराने को प्रेरित करती रचना और आपके विचार को नमन |

-- अवनीश तिवारी
राज भाटिय़ा ने कहा…
गिरीश जी बहुत सुंदर कविता कही आप ने,
धन्यवाद
बेनामी ने कहा…
मुझे जिस्म मत कहो चुप रहो मैं भाव हूँ.!
तुम जो हो सूर्य तो रश्मि हूँ प्रभाव हूँ !!
superb
बवाल भाई
कमाल भाई
आभार जो
रखते हो
ख़याल भाई
Atul Sharma ने कहा…
एक और स्‍तरीय रचना के लिए बहुत बहुत बधाई स्‍वीकारें ।
girish ji,

naari ke prati aapake bhav padh kar mann prasann ho gaya. bahut khoobsurat prastuti hai. bhasha dinkar jaisi mann moh lene wali hai. aanand aaya.
badhai

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