10.12.08
निंदा की निंदा
निंदा ,निंदा-की अगर की जाए तो उसका अपना मज़ा है इस में कोई नुकसान नहीं होता करना भी चाहिए किंतु भैया जी सचाई तो ये है कि एक सुधारात्मक सोच को यदि आप नकारात्मक द्रष्टिकोण से देखेंगे तो तय है कि सुरक्षापर आंच आ सकती है । मेरा मत यह है किसी भी स्थिति में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ नहो न ही देश में मुंबई काण्ड की पुनरावृत्ति हो । बाबजूद इसके कोई भीव्यक्ति कला साधना संस्कृति के नाम पे देश की गरिमा का ख़याल रखे बिना कुछ भी मांग करे ग़लत होगा । आपको याद होगा ग़ज़ल के बादशाह जगजीत सिंह ने तक सज़ा भोगी ।
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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6 टिप्पणियां:
मेरा मत यह है किसी भी स्थिति में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ नहो न ही देश में मुंबई काण्ड की पुनरावृत्ति हो
" very strong thoughts, i too agree with you"
regards
एक सुधारात्मक सोच को यदि आप नकारात्मक द्रष्टिकोण से देखेंगे तो तय है कि सुरक्षापर आंच आ सकती है....Do agree with u.
भाई आप की बात सो टके सही है.
धन्यवाद
... प्रभावशाली ।
आप सभी का हार्दिक स्वागत एवं आभार
सही बात है /न तो सुरक्षा से खिलबाड़ होना चाहिए और न ही किसी घटना की पुनरावृत्ति
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