7.12.08

ज्ञान दर्पण: भारत की सुरक्षा के सूत्रों की चर्चा

ज्ञान दर्पण:में भारत की सुरक्षा के सूत्र छाप कर अभिभूत करने वाले ratansingh के प्रति आभार ।रांची हल्ला की नज़र में युद्ध स‌माधान नहीं...है ये एक सीमा तक ठीक हो सकता है किन्तु अब जब "ब्रेकिंग "आ रही है कि पाकिस्तान को लश्कर पर कार्यवाई पर समय सीमा से इनकार है । इन ब्रेकिंग न्यूज़ के दौर में आदरणीय सरदार मनमोहन सिंह जी कहीं ऐसा न हो कि कारवां गुज़र जाए और आप गु़बार देखते रहें आप मैडम जी से बात करके "ताऊ की फ़रमाइश पर "पर दयां देदीजिए सर जी। वर्ना समय निकल जाएगा और आप क्या होगा इस देश का

9 टिप्‍पणियां:

sarita argarey ने कहा…

देश की आतंरिक सुरक्षा के सूत्र को आत्मसात कर के ही देश को महफ़ूज़ रखा जा सकता है । इनका व्यापक पैमाने पर प्रचार प्रसार होना चाहिए ,ताकि लोग जागरुक हों ।

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Sareetha ji
Thank's
pl. help me

राहुल सि‍द्धार्थ ने कहा…

उत्साह वर्द्धन के लिए धन्यवाद.आशा है आगे भी हमारी मुलाकात होती रहेगी. देखते हैं हमारे सुरक्षा के जिम्मेदार नेता करते क्या हैं?

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

ये नेता गण भारतीय सुरक्षा के
लिए कतई जिम्मेदार नहीं हैं
एक शेर याद आ रहा
ता उम्र जो अपना चेहरा पड़ न सका
अब हम उसके हाथों आइना नहीं देंगे

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

सर जी , ये नया प्रयोग बुत लाजवाब लगा !

रामराम !

Gyan Darpan ने कहा…

उत्साह वर्द्धन के लिए धन्यवाद

Gyan Darpan ने कहा…

अरे "भारत की सुरक्षा के सूत्र " का संदेश Hi5.com पर भेजने वाले आप ही थे मुझे तो पता ही नही था आपके ब्लॉग का | खैर अब मुलाकात हो गई अब यहाँ आना जाना लगा रहेगा |

Unknown ने कहा…

मित्र
बधाइयां स्वीकारिए
अब अपनी जड़ों को सीचने का समय आ गया है

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

रतन जी,ताऊ जी, सिद्धार्थ भाई , ब्लॉग पत्रकार जी
आप सभी स्वनाम धन्य हस्ताक्षरों
के प्रति विनत आभार .
सच ब्लागिंग के ज़रिये जारी इस जोश को
स्थायित्व मिले यह ज़रूरी

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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