जीवन में इंद्रिय सक्रियता एक ऐसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो हमारे जीवन के संचालन के अलावा स्मृति कोष में जानकारी को सुरक्षित करने में भी सहायक है।
इस संबंध में आगे चर्चा करेंगे उसके पहले आपको बता देना आवश्यक है कि - हम केवल घटनाओं के पुनरूत्पादन के विषय में चर्चा कर रहे हैं न कि उस जैसी घटना की पुनरावृत्ति के विषय पर।
इंद्रियों के माध्यम से हम सूचनाओं एकत्र करते हैं और वह सूचना हमारे स्मृति कोष में संचित हो जाती है। अर्थात हमारे मस्तिष्क में केवल वही बात जमा होती है जिसे हम गंध,ध्वनि, आवाज़, स्वाद, दृश्य, भाव, के रूप में महसूस करते हैं।
प जो जो घटनाएं हम महसूस कर सकते हैं केवल वह ही हमारे स्मृति कोष में जमा होती है ।
आते हैं हमारा स्मृति कोष एक तरह से एक डाटा बैंक है।
मस्तिष्क में संचित सूचनाओं को क्या हम पुनरूत्पादित कर सकते हैं अथवा क्या ऐसी जानकारी का पुनरूत्पादन हो सकता है?
हम मस्तिष्क में संचित सूचनाओं को स्वयं भी पुनरुत्पादित कर सकते हैं तथा कई बार ऐसी घटनाएं जो स्मृति कोष में संचित होती हैं, स्वयं ही पुनरूत्पादित हो जातीं हैं।
इनका पुनरूत्पादन जागते हुए या सोते हुए कभी भी हो सकता है।
जागृत अवस्था में हम घटित घटनाओं को भौतिक रूप से क्रिया रूप में कर सकते हैं।
लेकिन जब हम सोते हैं तब हमें यह सब कुछ आभासी रूप में दिखाई देता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या नेत्रहीन व्यक्ति कोई घटना स्वप्न में देख सकता है ?
यदि व्यक्ति की देखने की क्षमता जिस उम्र तक उपलब्ध होती है उसे उम्र तक के दृश्यों के आधार पर नेत्रहीन व्यक्ति स्वप्न देख सकता है। अर्थात उसके स्मृति कोष से स्वप्न के रूप में केवल वही दिखाई देता है जो उसके स्मृति कोष में संचित है।
परंतु जन्मांध व्यक्ति केवल घटित हुई घटनाओं का स्वप्न के रूप में पुनरुत्पाद
ध्वनि अर्थात वार्तालाप, गंध , स्पर्श के रूप में महसूस कर सकता है।
इसी क्रम में एक प्रश्न यह है कि जन्म से मूकबधिर व्यक्ति स्वप्न देख सकता है ?
वास्तव में हम स्वप्न नहीं देखे बल्कि हम महसूस करते हैं। जन्म से मूकबधिर व्यक्ति केवल स्वप्न आने पर घटना को महसूस करता है।
जागृत अवस्था में ऐसे व्यक्ति मूकबधिर व्यक्ति कि मस्तिष्क में घटनाओं का पुनरूत्पादन सामान्य लोगों की तरह ही महसूस होता है।
अब आप हेलेन केलर जैसी किसी व्यक्ति की कल्पना कीजिए। जो देख सुन और बोल नहीं पाती थी, फिर भी महसूस कर लेने मात्र से उन्होंने अपने दौर में ऐसी ऐसी विचार रखे जो सोशियो इकोनामिक पॉलीटिकल परिस्थितियों के लिए उपयोगी साबित हुए। केवल महसूस कर लेने मात्र से हमारे ही स्मृति कोष में सूचनाएं जमा हो जाती हैं। जिसका पुनरूत्पादन सामान्य और सामान्य से बेहतर परिणाम देता है। हेलेन केलर इसका एक बेहतर उदाहरण है।
हेलेन केलर की जीवन गाथा बार-बार पढ़ने को मन करता है। एक लिंक में आपके साथ साझा कर रहा हूं, मेरे दृष्टिकोण में हेलेन केलर की जिंदगी इस यूट्यूब लिंक पर आपके लिए प्रस्तुत है
https://youtu.be/Cu_1wBT76fk
स्टीफन हॉकिंग भी दूसरे बेहतरीन उदाहरण के रूप में एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक दार्शनिक के रूप में स्थापित है।
जब भी कभी सपने में कोई घटना या घटनाओं का पुनरूत्पादन अर्थात री- क्रिएशन होता है तो वह केवल आभासी होता है। जबकि हमारे मस्तिष्क में जागृत अवस्था में पुनरूत्पादन होने से उसकी सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव पड़ते हैं।
कभी-कभी आपने महसूस किया होगा कि किसी व्यक्ति के साथ आपके अच्छे अनुभव न रहने के कारण आप उसकी उपस्थिति में असहजता महसूस करते हैं
और किसी व्यक्ति के साथ आपके विचार मिलने अथवा उनके साथ बिताए गए बेहतरीन समय के कारण आप सहज और उत्साहित होते हैं।
कई बार ऐसी स्थितियों के कारण पाप निर्माण भी कर सकते हैं। तो कई बार ऐसी स्थितियां विनाशकारी भी बन सकती है।
यह व्यक्तिगत चिंतन है, संभावना है कि आप इस चिंतन से सहमति न रखते होंगे, इस हेतु मैं आपका अग्रिम आभार व्यक्त करता हूं। जो उपरोक्त विवरण से सहमति रखते हैं उनके प्रति भी समान भाव से सम्मान और आभार व्यक्त करता हूं।
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