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नक्सली हिंसा : वामधारा की देन..!

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   वामधारा सिंचित नक्सलबाड़ी वार से रक्तपात भारत को बचाने चरम प्रयासों की ज़रूरत : गिरीश मुकुल      यह एक चरमपंथी विचार है । चरम सदा ही पतन का प्रारंभ होता है। अक्सर आप जब शिखर पर चढ़ने का प्रयास करते हैं तब आपका उद्देश्य होता है.... स्वयं को श्रेष्ठ साबित कर देना। इसका अर्थ यह है कि आप चाहते हैं-" आप उन सब से अलग नज़र आएं जो भीड़ का हिस्सा नहीं है ।     वामधारा चरमपंथी धारा है। यह एक ऐसी विचारधारा है जिसका प्रारंभ ही कुंठा से होता है।      कोई भी व्यक्ति जो कुंठित है अर्थात पीडा और क्रोध के सम्मिश्रण युक्त व्यवहार करता है या कुंठित है वह सामान्य रूप से हिंसा के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति बनता है। अर्थात पीड़ा और क्रोध हिंसा  सृजन का प्रमुख घटक है।       अब आप यह कहेंगे कि-" कृष्ण ही नहीं महाभारत के लिए उत्प्रेरित क्यों किया क्या वे पीड़ा युक्त क्रोध यानी कुंठा से ग्रसित थे..!"      नहीं कृष्ण कुंठा से ग्रसित नहीं थे। कृष्ण ने युद्ध टालने के बहुत से प्रयास किए उनका अंतिम कथन यह था की कुल 5 गांव पांडवों को दे दिए जाएं ।       कुंठित तो दुर्योधन था जिसने इतना भी

‎"बेटी-बचाओ अभियान" हमारे चिंतित मन को चिंतन की राह देगा

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                                                      (  चार्ट अ )                     क्रम भारत एवम मध्य-प्रदेश 1991 2001 2011 01 भारत 927 933 940 02 मध्य-प्रदेश 912 920 930 मध्य-प्रदेश में   05     अक्टूबर से बेटी बचाओ अभियान का शुभारम्भ जनचेतना को जगाने का एक महत्वपूर्ण कदम है. यह बेहद ज़रूरी भी है. कारण है   पिछले दस वर्षों में सम्पूर्ण भारत का     लिंगानुपात   933   से बढ़कर   940   हो गया जो भले ही एक उत्तम स्थिति कही जा सकती है किंतु     बच्चो का लिंगानुपात स्वतंत्र भारत के सबसे निचले स्तर पर जो एक नकारात्मक     सूचना है. एक और ज़रूरी तथ्य जो समाज का बेटियों के बारे में दृष्टिकोण उज़ागर करता है वो है नवजात शिशुओं की मृत्यु दर     ( भारत की स्थिति   )    वर्ष   1990 , 1995,2000,2005  तथा    2009    तक हमेशा बालिकाओं की मृत्यु का आंकड़ा सदैव अधिक ही रहा. ये अलग बात है कि नवजात शिशु मृत्यु की स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन आया है. किंतु बालिका मृत्यु दर सदा ही कुल शिशु मृत्यु के प्रकरणों का तुलनात्मक परीक्षण पर ग्यात होता

हिंदी ब्लागिंग पर प्रतिबंध और ब्लागर्स की ज़िम्मेदारी...!

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                                         समीरलाल  हिंदी ब्लाग जगत चिंतित है. समीरलाल चिंतित होकर बज़्ज़ पर पूछ रहे हैं:-" बेचारा निरीह हिन्दी ब्लॉगर- कानून के घेरे में लपेटा    जायेगा....अधिकतर तो आत्म समर्पण करके निकलना पसंद करेंगे. " तो नुक्कड़ पर चिंतित हैं अपने ललित शर्मा जी कह रहे है मौलिक-अधिकार का हनन है यह. .  संजीव शर्मा जी ने जुगाली पर  बताया कि:- क्या और कैसे होगा प्रतिबंध ब्लागिंग पर . कुल मिला कर सारे हिन्दी ब्लाग जगत में एक सनसनी अभिव्यक्ति पर  लगाम कसने की कयावद वह भी हिंदी ब्लागर्स की अभिव्यक्ति पर हिंदी-ब्लागर्स बकौल संजीव :-" हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओँ के ब्लॉग तो अभी मुक्त हवा में साँस लेना सीख रहे हैं और उन पर प्रतिबन्ध की तलवार लटकने लगी है.दरअसल बिजनेस अखबार ‘इकानॉमिक्स टाइम्स’ के हिंदी संस्करण में पहले पृष्ठ पर पहली खबर के रूप में छपे एक समाचार के मुताबिक सरकार ब्लाग पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रयास कर रही है.यह प्रतिबन्ध कुछ इस तरह का होगा कि आपके ब्लॉग के कंटेन्ट(विषय-वस्तु) पर आपकी मर्ज़ी नहीं चलेगी बल्कि सरकार यह तय करेगी कि आप क्या पोस्ट करें

पालने से पालकी तक बेटियों के लिये

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