रवीश कुमार की समस्या :रामायण का प्रसारण


Ravish Kumar नामक व्यक्ति को दूरदर्शन पर रामायण का प्रसारण फिर से एक बार जनता की मांग पर किया। पता नहीं रवीश जी के पेट में अजीब अजीब सी हरकतें होने लगी जैसी अपच में होती है और दोपहर होते-होते तक मामला वोमिटिंग तक पहुंच गया। कोरोना वायरस वहीं से आया है, जहां से इन भाई साहब को विचारों की खेती करने के लिए बीच मिलते हैं। तकनीकी भी वहीं से मिलती है खेती करने की। यह श्रीमान मात्र 45 साल की उम्र के हैं 74 में इनका जन्म हुआ है परंतु मैग्सेसे अवार्ड पाने के बाद पता नहीं इतने हल्के हो गए हैं कि इन्हें किसी भी व्यक्ति का समुदाय का चिंतन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इनका किसी से कोई भी राजनैतिक रिश्ता अच्छा या बुरा हो सकता है, उससे हमें कोई लेना-देना नहीं हमें लेना देना इस बात से है कि आज से जनता की मांग पर श्री राम के जीवन पर आधारित रामायण का प्रसारण क्या हुआ भाई साहब आज दोपहर की नींद सोए नहीं। और सोते भी कैसे रक्ष संस्कृति के संवाहक के रूप में इनकी कदाचित जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि ये उसका विरोध करें। विरोध इनकी मूल प्रकृति में है। बिहार मोतिहारी के जन्मे दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ लिख कर रोटी कमाने के लायक हो गए और एक खास प्रकार के चिंतन के ध्वजवाहक भी हो गई। वास्तव में राम और रामराज के मर्म को इन्हें समझने में बड़ी कठिनाई हो रही है। घर से बैठे-बैठे फेसबुक पर लाइव होकर भाई ने बताया कि भारत बिल्कुल भी तैयार नहीं है चीन जनित महामारी से निपटने के लिए . मुझे ऐसा लगा कि शायद भाई सही कह रहा हो? तफ्सील से हमने भी तस्दीक शुरू कर दी , हमें पता चला हर आईएएस हर आईपीएस हर वह व्यक्ति जो राजनीतिक प्रतिद्वंदी है इस मुद्दे पर मानवता के साथ है जितना बन पड़ रहा है कर रहे हैं। रवीश कुमार का कहना है कि भारत सरकार ने आज तक अगर महामारी फैल जाती है तो कोई व्यवस्था नहीं कर रखी है . मुझे लगता है बिल्कुल सही कहा इन्होंने भारत सरकार और समस्त राज्यों की सरकारें अपने संसाधनों का बेहतर से बेहतर उपयोग करने में सक्षम है और करती भी हैं। परंतु क्या कभी भाई ने अथवा इनके चैनल ने दिन भर चलने वाले एक विज्ञापन का भी सहयोग दिया है किसी भी सरकार को शायद कभी नहीं। रविश एक कुटिल बुद्धिमान हैं इन्होंने मिशन विरोध के चलते यह भी नहीं सोचा कि कभी इन्होंने चिकित्सकीय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए किसी भी सरकार को सलाह दी अब तक मैंने इनके जितने प्रोग्राम देखें संभवत है ऐसा कभी इन्होंने नहीं किया। अगर कोई प्रोग्राम होगा भी तो उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं हो सकता है कि पूरे दिन इनके चैनल को ना देखा हो। सुधि पाठकों को बता देना चाहता हूं कि भारत में राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम होने के कारण पूजनीय एवं आदर्श है। कवियों ने उन्हें मर्यादित राजा की उपाधि से नवाज़ते हुए श्रेष्ठ कहां है। तुलसीदास ने राम के चरित्र को लोक नायक के रूप में प्रस्तुत किया है। पत्रकार है इतना तो जानते ही होंगे। राम एक ऐसे राजा के रूप में कथानक के माध्यम से जाने जाते हैं जो ईश्वर की तरह पवित्र और सर्वमान्य थे। और अगर अपने आदर्श के जीवन चरित्र पर आधारित किसी नाटक को जनता देखना चाहती है जो उसका व्यक्तिगत अधिकार भी है भाई को आपत्ति क्यों होने लगी। बहुत सारी चैनल है जिनमें धार्मिक सीरियल आ रहे हैं उन पर भाई साहब की टिप्पणी क्यों नहीं आई। कोरोनावायरस के विस्तार को लेकर इतनी ही चिंता इनके मन में है तो यह मास्क बांधकर किसी पीड़ित मानवता की सेवा में क्यों नहीं निकल गई आखिर भारत के नागरिक तो है। इनके चिंतन में कहीं ना कहीं किसी को किया हुआ कमिटमेंट नजर आ रहा है। कहां रामायण का प्रदर्शन और कहां करुणा वायरस। आज शाम और सुबह तकनीकी कारणों से मेरा टेलीविजन सेट खराब था मेरी पत्नी और बेटी का मूड भी खराब हो गया। क्या इन पढ़ी लिखी जनता को आप समझाऐंगे..? भाई जी जनता का अधिकार और आपकी अभिव्यक्ति का अधिकार सिंक्रोनाइज नहीं है जनता जो चाहती है उसी आप पढ़ नहीं पाएंगे आप जो भी व्यक्त करते हैं उसे वह निभा नहीं पाएगी। रवीश के लिए यूं तो मेरे दिमाग में हजारों सवाल परंतु विषय को चबा चबा कर गन्ने की बेदम हुई बचत की माफिक उगलने वालों से हम बात नहीं कर सकते हमारा भी तो कोई स्वाभिमान है। अरे कम से कम मिर्जा गालिब को ही पढ़ रहे थे भारत का सांस्कृतिक दर्शन समझने के लिए मेरे परम पूज्य मिर्जा गालिब काफी है। बहुत प्रेरणा करो भारतीय आइकॉन से जिन्हें विवेकानंद कहा जाता है जिन्हें रामकृष्ण परमहंस कहा जाता है जिन्हें गांधी कहा जाता है जिन्हें रजनीश कहा जाता है जिन्हें कबीर कहा जाता है बस तुम रसखान को पढ़ लो कबीर को समझ लो सब कुछ साफ हो जाएगा अभी तो तुम्हारी उम्र बहुत कम है मुझसे लगभग 11 बरस बाद पैदा हुए यह उम्र अनुशीलन चिंतन और संस्कृति को समझने की है पता नहीं कहां से तुम्हें तकलीफ होती है ताली बजाने पर। छठ मैया की पूजा करते तुम्हें हमने भी देखा है इस देश में भी देखा है क्या वह पाखंड था आज के प्रसारण को देखकर तो लगा शुद्ध पाखंड था। उम्र के लिहाज से मुझसे बहुत छोटे हो और मैं भी परसाई की जमीन मैं जन्मा रजनीश परसाई सभी का सम्मान करते हुए जहां-जहां असहमति है असहमत रहता भी हूं परंतु वोमिटिंग नहीं करता। यह अलग बात है पेट के लिए तुम्हें किसी एजेंडे को आगे बढ़ाना है बढ़ाते रहो परंतु एक बात ध्यान रखो अगर आज रामायण का पुनः प्रसारण हुआ है तो वह जनता की मांग पर हुआ है, उस समय तुम 12 या 13 वर्ष उम्र के किशोर रहे थे न..? क्या किसी से सुना होगा सड़कों पर सन्नाटा रहता था अतिथियों को पानी भी तब मिलता था जब सीरियल खत्म हो जाए। आज जरूरत है कि जनता सड़कों पर ना दिखे और अगर इस सीरियल से यह फायदा मिल रहा है तो अपच वाली बात क्या? प्रिय रवीश इतना ज़हर मत बोलो कि लोग यह भूल जाए कि तुम वाकई में गलत प्रजाति में जन्मे हो। कभी तो सद्भावना रख लिया करो कभी तो समरस बनने की कोशिश किया करो यह सब बहुत दूर तक नहीं चलेगा अध्यात्म से जुड़ जाओ शायद भारतीय तो हो पर अच्छे और सच्चे भारतीय बन जाओगे । यह आलेख तुम्हें भेज रहा हूं निश्चित तौर पर तुम्हारा यह कहना होगा कि मैं अमुक या तमुक विचारधारा से संबद्ध तो यह गलत है पहले ही स्पष्ट कर दूं कि मुझे दाएं बाएं से कोई लेना देना नहीं है तो ऐसे आरोप लगाना भी मत भूलकर भी नहीं । अन्य प्राप्त होने वाले पुरस्कार और सम्मान के लिए अग्रिम शुभकामनाएं

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