एक खत इमरान खान के नाम


श्री इमरान खान साहब
      सादर अभिवादन
आप आतंकवाद का शिकार है इस बात का पूरे विश्व को गुमान है किंतु आपने आतंकवाद का बायफरकेशन किया है.. इसलिए आप आतंकवाद से पीड़ित हैं ।
 इतना ही नहीं आप ने आतंकवाद को गुड टेररिज्म के नाम पर जो पाल रखा है उससे आपको निजात चाहिए तो भारत से क्षमा सहित  प्रार्थना कीजिए समूचा भारत आपकी एक  कदम आगे बढ़ने पर स्वयं दो कदम आगे बढ़कर आपकी मदद के लिए आगे आएगा । किंतु आप ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि आप एक ऐसी सिविल गवर्नमेंट के प्रमुख हैं जिसकी बागडोर आई एस आई और आप की फौज जिसके हाथ में आपकी सिविल गवर्नमेंट की डोर है ।
    इमरान साहब सोचिए आप के लोगों का शिक्षा का स्तर बेरोजगारी निर्धनता आप की सरकार को चलाने के लिए जरूरी पैसा आपके  औद्योगिक विकास की दर क्या है ?
    हर बार आप की ओर से युद्ध का शंखनाद होता है कई बार तो आप पीओके के रास्ते अपने किराए के सैनिक टेररिज्म फैलाने के लिए भारत में भेजते हैं । किंतु भारत को यकीन मानिए युद्ध सर्वदा अस्वीकार्य रहा है । अगर आपने  अब तक  किताबें ना पड़ी हो  तो पढ़ लीजिए  जिनमें स्पष्ट तौर पर  लिखा है - युद्ध के बाद  की परिस्थिति क्या होती है  । जिन देशों ने युद्ध की तस्वीर देखी है उनके नागरिकों से जानिए अगर नहीं जान सकते तो जानिए आर्काइव में जाकर युद्ध कितने खतरनाक और मानवता के विरुद्ध का षड्यंत्र है । लेकिन कुछ देश युद्ध को अपना अंतिम लक्ष्य मानते हैं । ना वे स्वयं शांति से रह सकते और ना ही अपने पड़ोसी देशों को शांति से रहने देते हैं । दक्षिण एशिया में ऐसे  दो उदाहरण हैं  एक पाकिस्तान और  दूसरा  चीन किंतु परिस्थितियों में पूरी तरह व्यवसाई है जबकि पाकिस्तान पूरी तरह 1947 के बाद से आज तक वही कटोरा लिए पूरे विश्व से मांगता फिरता है परंतु युद्ध की अभिलाषा  सदैव  बनी रहती  है ।
 वास्तव में पाकिस्तान एक कुंठित राष्ट्र है कुंठा से बनाया गया देश ठीक उसी तरह होता है जैसे गुस्सैल और चिड़चिड़ी दंपत्ति की संताने भी अपने माता पिता के पद चिन्हों पर चलती हैं ।
   कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान की बुनियाद सिर्फ इसीलिए दुनिया सिर्फ इसी लिए रखवाई  ताकि वे राष्ट्र प्रमुख बन जावे . और उनकी यही अति महत्वाकांक्षा ने ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर दिया जो आतंक का घर बन गया है ।
 भारत का यह वह हिस्सा है  जहां भारत की रियासतों की कुंठित लोग जा बसे । सिंध गिलगित और बलूचिस्तान प्रांत के लोग जो वहां के मूल निवासी हैं को भी डिस्क्रिमिनेट किया जाने की कोशिश इन्हीं रियासतों की नवाबों ने 48 के आसपास ही शुरू कर दी थी । जहां तक कश्मीर मसले का सवाल है पाकिस्तान की देन है पाकिस्तान ने अगर 47 के बाद कश्मीर के भीतर घुसपैठिए ना भेजे होते तो आज बेशक बटवारा पाकिस्तान की हित में भी होता किंतु पाकिस्तान की अवाम को बेवकूफ समझने वाली पाकिस्तान की आर्मी के लोग पाकिस्तान के विकास को अवल दर्जा नहीं देते ।  और विश्व में उनका यश और सम्मान बना रहता किंतु आए दिन सुनने को मिलता है कि पाकिस्तान के पासपोर्ट पर नजर पड़ते ही विश्व के अधिकांश देश के लोग यहां तक कि प्रशासन भी व्यक्ति को संदिग्ध ही समझता है । यह बात मैं नहीं कह रहा हूं यह बात पाकिस्तान के लोग स्वयं स्वीकारते हैं ।
   पाकिस्तान ने इन 70 वर्षों में अपनी विश्वसनीयता खुद को ही है भारत ने कबायली घुसपैठियों को जो वास्तव में पाकिस्तान की  पहले आउट सोर्स आर्मी  के सिपाही थे उस समय सह लिया था । इमरान खान साहेब को पूरे सम्मान के साथ बता दिया जाना चाहिए कि  भारत की लोक आज भी हंडी पर चढ़ा हुआ चावल पक्का है अथवा नहीं केवल एक दाने से परख लेते हैं । भारत चाणक्य का देश है । भारत तक्षशिला नालंदा का देश है इन संदर्भों को पड़ोसी मुल्कों को हमेशा ध्यान रखना होगा खासतौर पर पाकिस्तान  को ।
    यहां हर एक व्यक्ति सामान्य रूप से शांति का अनुयाई है । जबकि जिन्ना साहब का पाकिस्तान 70 साल बाद भी कुछ खास हासिल न कर पाने वाला  आतंक का घर बना  है ।
     अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले 10 सालों में पाकिस्तान गृह कलह गंभीर शिकार हो जाएगा । अगर पाकिस्तान को अच्छे और बुरे आतंकवाद का वर्गीकरण करना आता है तो उसे विकास का महत्व भी समझ में आना चाहिए था ।  पिछले 70 सालों में मोटा कपड़ा पहन कर पतला राशन खा कर भारत ने विकास की तरफ ध्यान दिया है भारत का हर परिवार का कोई ना कोई बच्चा भारत से बाहर जाकर नौकरी कर रहा है बावजूद इसके कि भारत में आज भी रोजगार के अवसर उतनी कम नहीं है जितने की पाकिस्तान में हैं । भारत की औद्योगिक विकास की रफ्तार को समझने की जरूरत है ।  अगर भारत से पाकिस्तान सद्भावना के साथ अच्छे और बुरे आतंकवाद को परिभाषित किए बिना आतंक के खिलाफ मदद मांगता तो निश्चित तौर पर भारत की सरकार मदद अवश्य  करती । किंतु जो राष्ट्र कुंठा का महासागर हो उस राष्ट्र के विद्वान भी महत्त्व हीन हो जाते हैं ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान के लोग भारत के आम शहरीयों की तरह विकास नहीं चाहते ।  किंतु पाकिस्तान की सदा से कठपुतली साबित होती रही सिविल गवर्नमेंट में  आत्मशक्ति की कमी सदा से बनी रही .
    पिछले 1 सप्ताह में जब से भारत ने मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा छीना है तब से पाकिस्तान के सप्लायर बेहद तनावग्रस्त है और यह मामला  पाकिस्तानी  गृहयुद्ध की स्थिति को बढ़ा बढ़ावा  देगा । अभी तो हमने अखरोट ही बंद किए हैं अभी टमाटर और शक्कर की ट्रक वापस तो जाने दीजिए देखिए किस तरह आप की चरमराती है अर्थव्यवस्था ध्वस्त ना हो जाए तो समझिए की साक्षात कुबेर आप पर मेहरबान हैं । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री इमरान खान को समझ लेना चाहिए कि अगर वे बाहरी देश यानी भारत से युद्ध छेड़ देते हैं अथवा हमारी आतंक विरोधी नीतियों का समर्थन नहीं करते हैं तो इतना तय है की आप गृह युद्ध से आने वाली 10 सालों तक जुड़ते रहेंगे ।
    आपकी आवाम के प्रति भारत के किसी भी व्यक्ति में कोई दुराव नहीं है किंतु क्या आप जिस तरह इस्लाम के नाम  पर आतंक को पाल रहे हैं वह इस्लाम यह नहीं सिखाता की युद्ध करते रहो ।
   भारत में अगले डेढ़ साल तक चुनाव के अवसर आते रहेंगे लोकसभा के बाद स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे हमारे ऐसे डेमोक्रेटिक पर्व मनाए जाते रहेंगे ।  भारत का प्रजातंत्र युद्ध  जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देता सबको अपनी अपनी सहिष्णुता पर विश्वास है भारत नहीं चाहता कि आपके बच्चे भूखे नंगे रहें । बल्कि भारतीय चाहता है कि आप भी वैसे ही तरक्की करें जैसी भारत ने की है ।
 आप युद्ध के इतने शौकीन हैं तो इमरान साहब ध्यान रखिए की युद्ध क्रिकेट का खेल नहीं है और अगर आपने अपने अध कचरे राजनीतिक ज्ञान के आधार पर युद्ध करने की कोशिश की तो आप की स्थिति क्या होगी इसका मीजान आपको शीघ्र लगाना होगा ।  शीघ्र यानी एक-दो साल नहीं बल्कि अगले 15 दिवस में ।
शेष अगले पत्र में ।
    ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे
 

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