माना कि मयकशी के तरीके बदल गए
साकी कि अदा में कोई बदलाव नहीं है..!
गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये
ये पाँच साल का कोई चुनाव नहीं है ..?
********************************************साकी कि अदा में कोई बदलाव नहीं है..!
गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये
ये पाँच साल का कोई चुनाव नहीं है ..?
गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
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यूँ आईने के सामने बैठते वो कब तलक
मीजान-ए-खूबसूरती, बतातीं जो फब्तियां !
!!बवाल इसे पूरा कीजिए -----------मीजान-ए-खूबसूरती, बतातीं जो फब्तियां !
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11 टिप्पणियां:
अभी तो इतने में ही मजा आ गया..अब बवाल पूरा करें तो दूना हो. बधाई.
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
" बहुत जानदार ............निशब्द कर दिया इन पंक्तियों ने.
Regards
लाजवाब है..अब बवाल भाई का इन्तजार करते हैं.
रामराम.
हाँ जी मगर ये बतलाइए कि टिप्पणी में ही पूरा करूँ या पोस्ट के माध्यम से ? निर्देश के इंतज़ार में
---बवाल
गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये
बहुत खूब ..बेहतरीन
बहुत अच्छा जी, मै बवाल पर गया था मजा और भी दुगना हो गया।
बहुत समय पूर्व एक ऐसी ही चेन चली थी, अपने फिर से शुरूवात की, बहुत अच्छा लगा।
मुकुल जी के निवेदन को बाखूब प्रस्तुत किया है, मजा आ गया। कविता खत्म करते करते एक दो नाम आप ले लेते जो इस काम को और आगे बढ़ाते। तो मजा और दुगुना हो जाता।
गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
bhai maja aa gayaa.
panktiyyan mai hi pure kiye de rahaa hoon ------
यूँ आईने के सामने बैठते वो कब तलक
मीजान-ए-खूबसूरती, बतातीं जो फब्तियां !
khuda ka khair hi hamane ise mana,
jo karine hamari sudhari hai galtiyaan.
गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
shandar. aage v aise hi gajal pase karen.
आपको होली पर्व की परिवार सहित हार्दिक बधाई और घणी रामराम
sirf waah kehna
na-kaafi lagtaa hai.......
lekin be-lafz hooN......
bahut-bahut badhaaee
---MUFLIS---
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