भारत के मध्यम वर्ग की ताकत ने ने किया है भारत को गौरवान्वित
अमेरिकी उपराष्ट्रपति एवं यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री भी भारतीय मूल के हैं ।
यह तो पॉलिटिकल स्टेटस प्राप्त करने वाले भारतीय मूल के लोग हैं इसके अतिरिक्त विश्व के बड़े अंतरराष्ट्रीय कंपनीयों एवं उद्योग घरानों में भारतीय मूल के लोगों की मौजूदगी भारत को गौरव प्रदान करती है।
अमेरिका में होने जा रहे 2025 के आम चुनाव में राष्ट्रपति के तौर पर जिस नाम का जिक्र हो रहा है उन्हें विवेक रामास्वामी कहते हैं। विवेक रामास्वामी एक भारतीय मूल के अमेरिकन बिजनेसमैन हैं।
ऐसी क्या बात है भारतीयों में जो उन्हें अन्य लोगों से खास बनाती है?
इस बात की पड़ताल करें तो पता चलता है कि-
[ ] दक्षिण एशियाई मूल के सभी नागरिक बेहद मेहनती है तथा ईमानदार भी। विशेष रूप से भारतीय डायस्पोरा ने यूरोपीय देशों में अपना खास स्थान बना रखा है।
[ ] भारतीय मूल के लोगों में ज्ञान के साथ कार्यक्षमता और उनका पूछ राष्ट्र के प्रति सकारात्मक रवैया विश्व को प्रभावित एवं आकर्षित करता है।
[ ] भारतीयों की विशेषता है कि वह देश काल परिस्थिति के अनुसार स्वयं को अनुकूलित कर लेते हैं। यह भी एक कारण है कि यूरोपीय अर्थव्यवस्था के लिए वे महत्वपूर्ण घटक बन जाते हैं।
[ ] ऐसा नहीं है कि आज के दौर में ही भारतीयों ने विश्व पर अपना प्रभाव छोड़ा है बल्कि प्राचीन भारतीय इतिहास से लेकर मध्यकालीन ऐतिहासिक परिस्थितियां बताती है कि-" भारतीयों का सम्मान उस दौर में भी विश्व करता रहा है। प्राचीन एवं मध्य कल में भारतीय व्यापार वाणिज्य विश्व के व्यापार वाणिज्य का 30 प्रतिशत से अधिक रहा है।" लुटेरों के कारण पिछले 1300 वर्षों में भारतीय सांस्कृतिक एवं सामाजिक विस्तार में कमी अवश्य हुई है।
[ ] ईसा पूर्व 600 वर्षों की स्थिति देखी जाए तो जहां दक्षिण एवं उत्तर पूर्व एशियाई भूमि भागों पर भारतीय संस्कृति का विस्तार चोल वंश ने किया वहीं दूसरी ओर पूर्वी तथा मध्य एशिया तक महात्मा बुद्ध के धम्म का विस्तार हुआ है, इसे इतिहास प्रमाणित करता है। यह अलग बात है कि अवेस्ता के प्रभाव से सीरिया से बुद्धिज्म को वापस आना पड़ा।
[ ] वर्तमान परिस्थितियों में 1980 के बाद से भारतीय मध्य वर्ग ने जिस तरह से त्याग और प्रतिबद्धता के साथ अपना विकास किया है उसके परिणाम स्वरूप भारत का सॉफ्ट पावर वैश्विक रूप से समादरित हुआ है।
[ ] विज्ञान साहित्य संस्कृति एवं चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के सॉफ्ट पावर ने स्वयं को अभी प्रमाणित कर दिया। इस क्रम में कोविद महामारी का जिक्र करना जरूरी है। क्योंकि इसी अवधि में भारत मददगार के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने में सफल रहा।
[ ] मध्यमवर्ग के बारे में आयातित विचारधारा के लोग नकारात्मक टिप्पणियां 1990 तक करते रहे हैं। मैंने कई विद्वानों को सुना है जो मध्यवर्ग की निंदा किया करते थे। मध्यवर्ग ने इन सब बातों को अनसुना करते हुए अपने सॉफ्ट पावर को प्रोत्साहित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मध्यमवर्ग हमेशा से ही शिक्षा के प्रति आकृष्ट रहा है। पॉलिटिकल परिस्थितियों में उसकी भूमिका एक शांतिपूर्ण सहयोगी के रूप में रही है। इसी मध्यवर्ग के बच्चों ने अगले दो दशकों में जिस तरह से स्वयं को स्थापित किया तथा विदेशों में जाकर अपने अस्तित्व को स्थापित कर दिया काबिले तारीफ है।
जहां तक मैंने अध्ययन किया तो पाया कि अफ्रीका के कई देश तथा अन्य उपनिवेश जो फ्रांस जर्मनी इंग्लैंड के उपनिवेश हुआ करते थे वह आज भी विदेशी व्यवस्था से बाहर नहीं निकल पाए हैं। अब तो वह लगभग उसी स्थिति में है जैसा की उपनिवेश के समय वे किसी देश की कॉलोनी थे। जबकि भारत ने स्वयं को बदला है। प्रजातंत्र संविधान के साथ-साथ विकास में सब की भागीदारी के सिद्धांत को अपना कर भारतीय समाज सुदृढ़ से अति सुदृढ़ता की ओर अग्रसरित है।
ऐसा नहीं है कि हम पूर्ण रूप से वैश्विक प्रभाव छोड़ रहे हैं ! क्योंकि हमारे पास अभी वर्ग संघर्ष जातिय भेदभाव शेष है। इसे समाप्त करना तथा एकात्मता के साथ विकास की गतिविधियों को आगे लाना हमारा नागरिक कर्तव्य है और राष्ट्र धर्म भी यही है।
एक दौर था जब भारत की टीम ओलंपिक खेलों में बमुश्किल कुछ हासिल कर पाती परंतु अब खिलाड़ियों ने भारत को तीनों धातुओं के मेडल जीत कर गौरव प्रदान किया है। कुल मिलाकर अब भारत जिस स्थिति में आया है उसका मूलभूत कारण है भारत का मध्यम वर्ग जो भारत की सॉफ्ट पावर को मजबूती प्रदान करता है।