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बुधवार, सितंबर 27, 2023

आर एल वी का परीक्षण कर इसरो ने भारत को गौरवान्वित किया था


* चंद्रयान 3 लॉन्चिंग के पहले आर एल वी का परीक्षण कर इसरो ने भारत को गौरवान्वित किया*
*गिरीश बिल्लौरे मुकुल*
इन दिनों chandrayaan-3 चर्चा में है इसके पूर्व सबसे कम खर्च पर मंगल की भूमि पर यान पहुंचाकर इसरो ने विश्व को चकित कर दिया था। आप भी चकित हो जाएंगे यह जानकर कि एक और कारण है जो इसरो को यशस्वी बनाता है । जी हां
2 अप्रैल 2023 प्रातः 7:15 पर इसरो ने एक प्रयोग किया।  जो री यूजेबल लॉन्च व्हीकल RLV के नाम से जाना जाता है, को सफलतापूर्वक आकाश से जमीन पर उतारा। यद्यपि इस तरह का प्रयोग एलन मस्क ने नासा के सहयोग से 2018 में कर दिया था।
  भारत के इसरो ने यह प्रयोग इस उद्देश्य से किया है ताकि  भारत द्वारा भेजे गए एसएलवी रॉकेट का कचरा अंतरिक्ष में बेकार न जाए। भारत के इसरो ने   एक प्रोटोटाइप लॉन्चिंग व्हीकल को कर्नाटक के चित्रदुर्ग नामक स्थान से 2 अप्रैल 2023 प्रातः 7:15 पर आकाश में चिनूक हेलीकॉप्टर के माध्यम से भेजा। यह प्रयोग  डीआरडीओ भारतीय एयर फोर्स कब संयुक्त प्रयोग था।
  आपने चंद्रयान में दो साइड बूस्टर देखे होंगे इन बूस्टर्स का कार्य है मुख्य रॉकेट एवम उस पर लगे यंत्र को आकाश में  निर्धारित स्थान तक भेजा जाना। वर्तमान में ये केवल एक बार प्रयोग में लाए जा सकते हैं।  इसके बाद इन बूस्टर्स को अंतरिक्ष में कचरे के रूप में बिखर जाना होता है।
    हाल के दिनों में विश्व के 12 प्रक्षेपण स्टेशन इस चिंता से परेशान है कि अंतरिक्ष कुछ ही वर्षों में सैटेलाइट भेजने अथवा अन्य ग्रहों पर अपने रोवर लैंडर भेजने तथा अन्य वैज्ञानिक प्रयोगों से कचरा घर बन जाएगा। इससे अन्य कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होना स्वभाविक होंगी।
   भारतीय वैदिक दर्शन स्पष्ट रूप से अंतरिक्ष की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस क्रम में नासा के बाद इसरो ने प्रोटोटाइप को आकाश में लगभग 5 किलोमीटर ऊंचाई पर भेजकर वापस जमीन पर गिराया फिर ये प्रोटोटाइप अपने प्रयोग स्थल पर सीधा वापस आता है । कंप्यूटर कमांड के सहारे इस प्रोटोटाइप को प्रयोग स्थल के रनवे पर उतारा गया। इसकी स्पीड कम करने के लिए पैराशूट का भी उपयोग किया गया। इसरो प्रयास में है कि भविष्य में इस तरह के यान बनाए जाएं जो मूल रॉकेट को सपोर्ट करके वापस भूमि पर लौटे और उनका पुन: उपयोग किया जा सके
भविष्य में भारत का इसरो निश्चित रूप से कम खर्च में ऐसे बूस्टर व्हीकल जिन्हें री यूजेबल लॉन्चिंग व्हीकल RLV बनाने में सफल होने वाला देश बन सकता है। इस दिशा में अमेरिका की नासा तथा चीन की स्पेस एजेंसी भी कार्य कर रही है।

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