3.6.22

टारगेट किलिंग, सांप्रदायिक एकात्मता एवं भारत..!


     भारत की अर्थव्यवस्था 5 से 10 ट्रिलियन तक होने के लिए जरूरी है कि भारत अब Center of Peace के रूप में स्थापित हो जाए। टारगेट किलिंग सबसे भयावह है। इसके लिए 3 जून 2022 को जो राष्ट्रीय स्तर पर बैठक हुई है उसके निर्णय अगले कुछ दिनों में क्रियान्वित हो जाएंगे। टारगेट किलिंग के संबंध में एक सटीक सलाह है यह भी है कि कश्मीर में डेमोग्राफिक बैलेंस तुरंत प्रभाव से किया जाना चाहिए। अगर हम डेमोग्राफिक संतुलन स्थापित नहीं कर पाएंगे तो टारगेट किलिंग जैसी समस्या सदैव बनी रहेगी ऐसा मेरा व्यक्तिगत मत है। क्योंकि कश्मीर में टारगेट किलिंग का मुद्दा कुल मिलाकर ऐसी  मानसिकता का परिचय देता है जिसे आई एस आई या भारत विरोधी ताकतों का एजेंडा मानना गलत नहीं है।
   कश्मीरी पंडितों डोगरा और गैर मुस्लिम लोगों के विरुद्ध जिस मानसिकता को हवा दी जा रही है वह हवा, भारत विरोधी आंतरिक स्लीपर सेल्स एवं आयातित विचारधारा तथा आई एस आई का संयुक्त प्रयास है।
एक राजनीतिक दल के  प्रवक्ता  जीशान जावेद राणा ने एक टीवी चैनल पर केवल पॉलिटिकल स्टेटमेंट देते हुए नजर आए। टारगेट किलिंग को देखकर पूरी दुनिया समझ सकती है कि कश्मीरी पंडितों के विरुद्ध 1990 और उसके पहले तथा अब तक कितना जुल्म ढाया होगा। बहरहाल भारत सरकार इस मुद्दे पर बिल्कुल क्लियर है साथ ही निकट भविष्य में स्पष्ट एक्शन के मूड में है।
  कश्मीर के जिन लोगों की हत्या हुई उनमें बैंक में मैनेजर विजय कुमार के अलावा राहुल भट्ट राजस्व अधिकारी रणजीत सिंह दुकान का कर्मचारी अमरीन भट्ट टीवी कलाकार रजनी बाला शिक्षिका की हत्या एक राजनीतिक दल की पहल पर पाकिस्तान कुख्यात सरकारी संगठन आई एस आई प्रायोजित हो इससे इनकार करना असंभव है। वर्तमान में कुछ राजनीतिक टिप्पणियों से सिद्ध होता है कि टारगेट किलिंग करवा कर या हो जाने पर भारत की  सुरक्षा व्यवस्था को निशाने पर लिया जाए। एक सन्दर्भ से पता चलता है कि इस टार्गेट किलिंग का तानाबाना पीओके के मुज्ज़फराबाद में हुई थी . 
उपरोक्त विवरण से हटकर अगर देखा जाए तो भारत में शांति की स्थापना के लिए हमारी एथेनिक-परम्पराओ को समाप्त करने का प्रयास सतत जारी रहना चाहिए।
   इस संदर्भ में दिनांक 2 जून 2022 को संघ प्रमुख माननीय मोहन भागवत जी ने जो मार्गदर्शन दिया वह सामाजिक एकात्मता के परिपेक्ष में महत्वपूर्ण है। समय की आवश्यकता है कि भारत नेचुरल सेकुलरिज्म अर्थात प्राकृतिक- असंप्रदायिक परिस्थितियों में लौट जाए जैसा कि सनातन की प्रकृति है। सनातन व्यवस्था सदा से ही सांप्रदायिक विद्वेष को अस्वीकृत करती रही  है।
     लेकिन बाहरी विचारधारा एवं ब्रेनवाश करने वाली विचारधाराओं पर पैनी नजर रखने की जरूरत है। हमारा इंटरनल इंटेलिजेंस सिस्टम का बहुत प्रभावी होना जरूरी है।
  उपरोक्त अनुसार शांति सद्भावना और एकात्मता का संदेश संपूर्ण भारतीय नागरिकों को करना ही होगा।



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जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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