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रविवार, अप्रैल 10, 2022

“भगवान श्री राम का जन्म ईसा पूर्व 3 फरवरी 5674 ईसा पूर्व हुआ था..!”

 

विदित है आपको कि  कि भगवान श्री राम की वंशावली राम से शुरू नहीं होती इक्ष्वाकु वंश के वंशज हैं. जिनके वंशज आज भी भारत में मौजूद हैं . राम की त्रेता युगीन वंशावली आज से 6777 ईसापूर्व से 5577 वर्ष ईसापूर्व में त्रेता युग के 5674 से  5577 ईसापूर्व की अवधि में अस्तित्व में रही है  . श्रीराम का ऐतिहासिक कालखंड 97  वर्षों का आंकलित है. भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी जब शनि का उदय (exaltation) हुआ था .श्री वेदवीर आर्य अपनी कृति The Chronology of India के पेज क्रमांक 217  में इस तथ्य का भी उल्लेख करतें हैं कि उस समय तुला राशि की स्थिति 26°52¨ पर थी. यह स्थिति 3 फरवरी 5674 ईसा-पूर्व को थी. अत: श्री राम का जन्म ईसा पूर्व 3 फरवरी 5674 को हुआ था.  

आप सोचते होंगे कि-“वर्त्तमान में राम नवमीं अप्रैल माह से मई माह होती है ..तब उस समय फरवरी माह में चैत्र मास कैसे पड़ा फरवरी माह में शीत ऋतु होती है ?”- आपका प्रश्न स्वाभाविक है. परन्तु पृथ्वी पर ऋतुएँ पृथ्वी के “अयन-चलन” के कारण होतीं हैं .  

अयन गति या अयन चलन किसी घूर्णन (रोटेशन) करती खगोलीय वस्तु में गुरुत्वाकर्षक प्रभावों से अक्ष (ऐक्सिस) की ढलान में धीरे-धीरे होने वाले बदलाव को कहा जाता है। अगर किसी लट्टू को चलने के बाद उसकी डंडी को हल्का सा हिला दिया जाए तो घूर्णन करने के साथ-साथ थोड़ा सा झुकने भी लगती है । सन् 2700 ईसापूर्व के काल में पृथ्वी का जो ध्रुव तारा था लेकिन अयन चलन की वजह से ध्रुव के ऊपर से हट गया । वर्त्तमान में पृथ्वी 23.5 डिग्री झुकी है .

अन्य परिणाम :- अयन चलन से अब यह ध्रुव तारा नहीं रहा है।

अयन चलन की वजह से वर्तमान युग में सूरज बसंत विषुव के दौरान मीन तारामंडल के क्षेत्र में पड़ता है।

अयन चलन की वजह से वर्तमान युग में सूरज बसंत विषुव के दौरान मीन तारामंडल के क्षेत्र में पड़ता है।

ब्रह्मगुप्त और लल्ल ने अयन चलन के संबंध में काई चर्चा नहीं की है, परंतु आर्यभट द्वितीय ने इस पर बहुत विचार किया है।

काल्पनिक खगोलीय गोले के अन्दर पृथ्वी का अयन चलन-देखा जा सकता है कि उत्तर ध्रुव से निकलती हुई काल्पनिक अक्ष रेखा समय के साथ-साथ भिन्न तारों की तरफ़ जाती है, जिस से हज़ारों सालों के स्तर पर पृथ्वी का ध्रुव तारा बदलता रहता है

अयन चलन के कारण सूर्य की रश्मियाँ पृथ्वी पर सूर्य के स्थावर होने के कारण तिरछी गिरतीं हैं. जो ऋतु-परिवर्तन का कारण बनतीं हैं.

बाल्मिकी रामायण में वर्णित राम जन्म तिथि के इस वर्णन का नासा द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर के अनुसार श्री आर्य ने श्रीराम चन्द्र जी के जन्म की तिथि को प्रचलित ईस्वी कैलेण्डर की ऋणात्मक तिथि (दिनांक) का आंकलन किया है.  इस विवरण को मैंने अपनी कृति भारतीय मानव सभ्यता एवं संस्कृति के प्रवेश द्वार में भी शामिल किया है...            




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