13.10.21

पंडों के खिलाफ भड़काना प्रगतिशील लेखकों का प्रमुख एजेंडा

 
      सनातन संस्कृति में प्रयागराज के पंडों का अपना अलग महत्व है। हिंदू धर्म से अन्य संप्रदाय में जाने वाले लोगों के रिकॉर्ड रखने के लिए तथा उन्हें यह अवगत कराने के लिए कि वे लोग किस वंश से संबंध रखते हैं जैसे महत्वपूर्ण कार्य पंडे ही किया करते थे। यह कार्य एक सुनियोजित व्यवस्थित ढंग से निष्पादित होता है। पंडे गांव गांव जाकर वंश का रिकॉर्ड रखे हैं । सनातन व्यवस्था के तहत पूर्वजों के संबंध में विस्तृत जानकारी का मेंटेनेंस या संधारण सामान्य दिनों में अथवा श्राद्ध पक्ष में भी होता है। पंडों का कार्य देशभर के गांव में घर घर जाकर डाटा कलेक्शन का कार्य होता था। इस कार्य में किसी भी तरह की सरकारी इमदाद या प्रोत्साहन राशि नहीं मिलती थी। आप जब अपने पंडे के पास जाइएगा
आपको आपके परिवार का इतिहास उपलब्ध हो जाएगा।
    और यह जानकारी बड़ी सटीक तथा प्रभावी होती थी। वर्तमान में भी बहुत सारे पंडे इस व्यवस्था को निरंतरता दे रहे। परंतु वामपंथी सहित इस संदर्भ में बेहद नकारात्मक और गंदे तरीके से सनातन को अपमानित करने के लिए लगातार लिख पढ़ रहा है और अभी भी यह सिलसिला रुका नहीं है। काफी हाउस में सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए साहित्य का सृजन कर रहे हैं और उनका मूल विषय सनातन धर्म के विरोध अलावा और कुछ नहीं। इस आर्टिकल के माध्यम से सभी सनातनीयों को साफ संदेश दे रहा हूं ऐसे किसी भी बुरे प्रयास के खिलाफ जागृत हो और सनातन के प्रति अपना इसने बरकरार रखें
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*

1 टिप्पणी:

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर सार्थक जानकारी । मेरे खानदान की वंशावली आज भी सुरक्षित है और ये कार्य पुश्तों से ऐसे ही पंडे संभाल रहे हैं,हर नया रिकॉर्ड उसमें संलग्न करते हैं,हम लोग उनका बहुत मान सम्मान करते हैं, बस अपनी इच्छानुसार कुछ देना होता है,उनकी कोई मांग नहीं, हमारा उनसे पीढ़ियों से रिश्ता बना हुआ है ।... पता नहीं क्यों हर कोई सनातन के पीछे पड़ जाता है, प्रासंगिक लेखन के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं ।

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