30.12.20

मेरी फुदक चिरैया का हत्यारा माओ


  18 मार्च 1958 से 18 मार्च 1960 तक एक मूर्ख नेता ने मेरी फुदक चिरैया का सामूहिक हत्या का अभियान छेड़ दिया इस मूर्ख नेता का नाम था माओ ।
    यह एहसान फरामोश अति स्वाभिमानी और अपने कैलकुलेशंस को श्रेष्ठ मानने वाला नेता था। पता नहीं क्यों इस भटके हुए संहारक मस्तिष्क में एक गणित उभरा और वह गणित था देश की अर्थव्यवस्था को यूरोपियन राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था से बेहतर बनाना।
यह जिस आईडियोलॉजी से आता है उस आईडियोलॉजी में मौलिक रूप से यह विचार समाहित होता है कि अगर कुछ हुआ है... तो उसका उत्तरदाई बिना कोई अवश्य है ।  बस एक दिन बैठे बैठे गुणा भाग करते हुए इसने अंदाज लगाया-" यह जो गौरैया है ना साल भर में  4•5 किलोग्राम अनाज चट कर जाती है । और चूहे भी अनाज चट कर जाते हैं अगर हम इन चिड़ियों को मार दें तो  बहुत सा अनाज बचेगा और वह अनाज बाजार में बेचकर अर्थव्यवस्था को पुख्ता किया जा सकता है । कैलकुलेशन सही था लेकिन परिणाम के बारे में सोचा ही नहीं गया। मेरी फुदक चिरैया उन कीट पतंगों को भी चट कर जाती है जो माओ के देश के खेत में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। और वह इस बात का भी अंदाज नहीं लगा पाया कि यह जो टिड्डी दल है ना उस पर भी नियंत्रण करती है मेरी फुदक चिरैया...!!
एक मूर्खतापूर्ण निर्णय जिसने क्या जनता क्या सेना क्या इंटेलेक्चुअल्स और क्या पुलिस और प्रशासन सब के सब ऐसे इंवॉल्व हो जैसे कोई उत्सव मनाया जा रहा है।
     हो सकता है कि उनको भारत में भी कुछ लोग मेरी फुदक चिरैया से नाराज रहने लगे हो..😢😢 असंभव कुछ भी नहीं वैसे भी यह मूर्खों के शब्दकोश का शब्द है। भारत एसे कुछ लोगों को अपने देश में रहने की इजाजत देता है जो मेरी फुदक चिरैया से नाराज हैं ।
      ग्रेट स्पैरो मूवमेंट  में  जनता की जिम्मेदारी थी  कि वह  मक्खी  मच्छर चूहे और  गौरैया को समूल नष्ट कर दें । मैंने इस मूवमेंट का नाम बदल रखा था मैं इसे *मेरी गौरिया के खिलाफ आतंकवाद* नाम देता हूं ।
                जानते हैं उसके बाद क्या होगा 1960 के आते-आते इकोसिस्टम अर्राकर गिर गया । खेतों में उगने वाले अनाज को कीड़े और टिड्डी दल बिना किसी दबाव के निपटाने लगे। करोड़ों चीनी वासियों को भूखमरी और शिकार होना पड़ा था...!
कोविड-19 वायरस के जन्मदाता देश में जो ना हो वह थोड़ा है ।
   

कोई टिप्पणी नहीं:

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...