6.11.20

जर्मनी मीडिया डॉयचे वेले ने उठाए बेहूदा सवाल..!

जर्मनी का एक मीडिया हाउस डॉयचे वेले है ने अपने फेसबुक डिस्पैच में कहा है-"भारत विश्व की 10 निरंकुश व्यवस्थाओं में से एक है"
डिस्पैच में मीडिया हाउस  ने वी डैम इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर स्टीफन लिग बैक की हालिया प्रकाशित रिपोर्ट  के आधार पर 180 देशों के 3000 शिक्षाविदों के साथ एक विशेष प्रश्नोत्तरी पर आधारित यह निष्कर्ष निकाला है । डॉयचे वेले का यह मानना है कि-"2014 के बाद से भारतीय आजादी के बाद प्रजातांत्रिक स्थिति में काफी गिरावट हुई है ...!"
   स्टीफन स्वयं भी इस संदर्भ में अपने बयान देते हुए नजर आते हैं।
डॉयचे वेले के इस डिस्पैच का खुलकर न केवल खंडन करना चाहिए बल्कि ऐसे डिस्पैच प्रस्तुत करने पर उसकी निंदा भी करनी चाहिए । हम वॉल्टेयर  के उस सिद्धांत का पालन करते हैं और स्वीकृति भी देते हैं कि असहमति का सम्मान करना चाहिए। परंतु 130 करोड़ भारतीय आबादी जो विश्व की सबसे बड़ी प्रजातांत्रिक व्यवस्था है के आयातित विचारधाराओं के साथ जुड़े शिक्षाविदों को कोई भी अधिकार नहीं है कि वह बिना तथ्य को समझे जाने  इस तरह के जवाब दें कि एक नेगेटिव दे कि एक नेगेटिव नैरेटिव को स्थापित किया जा सके ।
   2014 से किसकी सरकार है  यह आप सब समझते हैं। जहां तक एक भारतीय लेखक होने के नाते डॉयचे वेले से आग्रह करना चाहूंगा कि वे देश के कुछ गाँवो शहरों का भ्रमण उसी प्रश्नावली के साथ किसी वास्तविक भारतीय के साथ जाकर या स्वयं भी जाकर देखें तो पता चलेगा कि - "भारत में प्रजातंत्र की जड़ें कितनी मजबूत हैं..!" 
इस मीडिया हाउस ने यह भी मूल्यांकन नहीं किया कि सामान्य परिस्थितियों में एक बार आपातकाल की घोषणा की जा चुकी थी । 
 भारतीय प्रजातंत्र को निरंकुश साबित करने की कोशिश करना भारतीय मतदाताओं की खिलाफ एक नरेटिव के प्रयास के रूप में  आपके डिस्पैच को देखा जा रहा है । 
जर्मन के इस मीडिया हाउस को अगर यह तथ्य प्रस्तुत करना भी था तो वन साइडेड मूल्यांकन ना करते हुए वास्तविक परिस्थिति को भी समझना चाहिए था।

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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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