कोविड19 के बाद का भारत..!
रोजगार के लिए प्रवास स्वाभाविक प्रक्रिया है। इतिहास में भी यह सब कुछ दर्ज है...और यहां रोजगार के लिए प्रवास के बाद कोविड19 के बाद घर और गांव के महत्व को महसूस किया होगा आपने भी
गांघी जी भी याद आए होंगे न ? जो कुटीर उद्योगों के प्रबल समर्थक थे । बापू के उसी मार्ग को आत्मनिर्भरता कही जा सकती है । जिसे वर्तमान प्रधानमंत्री जी ने अंगीकार किया है । परन्तु कोविड संकट जूझ रहे भारत को सम्हलना अभी एकाएक ज़रा कठिन है । परन्तु वैक्सीन आने के बाद अर्थात लगभग 6 माह बाद केंद्र सरकार एवम राज्य सरकारों को तेज़ी से काम करना होगा । उसे यहाँ एक ट्रष्टी एवम प्रमुख प्रबंधक के रूप सक्रिय होने की ज़रूरत होगी ।
सरकार छोटे से छोटे उत्पादन के लिए स्थानीय पृष्ठभूमि को देखते हुए उत्पादन को प्रमोट करें और बाजार उपलब्ध कराएं तो निश्चित तौर पर रोजगार की संभावना सुदूर क्षेत्रों में बढ़ेगी !
मजदूरों का गांव से पलायन अधिकतम 500 वर्ग किलोमीटर के आसपास होना चाहिए ताकि एक या 2 दिन के अंदर पूरा का पूरा परिवार वापस घर पहुंच सके। अब आप सवाल करेंगे कि क्या भारत सरकार की औद्योगिक नीति में बदलाव की जरूरत है । जी हां भारत सरकार की ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी व्यवसायिक एवम औद्योगिक नीति का गंभीरता से पुनरीक्षण करें इसमें परिवर्तन अवश्यंभावी है ।
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए समस्या का कारण होगा पर कैपिटा इनकम और इकोनामी में गिरावट की संभावना है । कोविड19 के बाद उत्पादन और उनका विपणन करने के लिए सरकार को बहुत तेजी से समन्वयक की भूमिका निभानी होगी। कुछ बाजार विज्ञानी मानते हैं कि- क्रय शक्ति कमजोर होने से स्थानीय उत्पादों के लिए बाजार दूरस्थ क्षेत्र में ही तलाशने होंगे। ऐसा नहीं है आवश्यकतानुसार उत्पादों का आकलन कर आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है । और यह केवल प्रदर्शनात्मक ना होकर वास्तविक रूप से क्रिया रूप में परिणित करना होगा।
*यहां समाज और सरकार दोनों की भूमिका समान रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है.. आप जानते हैं कि पूरी अर्थव्यवस्था का 60 से 70 प्रतिशत भाग में मध्यमवर्ग की सहभागिता होती है* मानव संसाधन भी मध्यवर्ग से ही निकल कर आता है। ऐसी स्थिति में मध्यमवर्ग से निकल रही प्रतिभाओं को जिले संभाग और राज्य स्तर तक उत्पादन और सेवा इकाइयों रूप से प्रारंभ कराना ज़रूरी है ।
सकल बचत के लिये सरकारी क्षेत्र के बैंक पोस्ट ऑफिस की जमा व्यवस्था को सिक्योरिटी के साथ साथ टैक्स में छूट की लिमिट को बढ़ावा देकर प्रतिव्यक्ति बचत जो 36% से घटकर 30% से भी कम हो चुकी है को बढ़ावा देना ही होगा । जीडीपी में शुद्ध बचत की वृद्धि से व्यक्तिगत क्षेत्र में पूंजी का निर्माण तेजी से होना तय है ।
वर्तमान में मध्यवर्ग का 70% हिस्सा कार, एसी, टीवी तथा अन्य अनुत्पादक लक्ज़री की #ईएमआई के दुष्चक्र में फंसा है । जो बचत पूंजी निर्माण (वेयक्तिक सेक्टर में पूंजी निर्माण ) की बड़ी बाधा है । पर्सनल लोन सबसे अधिक ब्याज वसूली का माध्यम है । जिसका मिलना बहुत सरल है । डेली यूज़ की सामग्री के मूल्य नियंत्रित न होने से भी बचत बेहद प्रभावित होती है । अगर #ईएमआई का दायित्व एवम अनियंत्रित कीमत वृद्धि को नियंत्रित करते ही वैयक्तिक सेक्टर में पूंजी निर्माण की दर तेज़ी बढ़ेगी । कोविड19 के संकट से उभरने से पहले ही हम लक्ज़री और हमारी सरकार मूल्यों को नियंत्रित करें तो हम एक विशाल पूँजी का निर्माण करेंगे । यह पूँजी हमारे लिये बचत होगी जो बड़े औद्योगिक घरानों के लिये भी ज़्यादा होगी ।
Ad
सोमवार, अक्तूबर 19, 2020
Ad
यह ब्लॉग खोजें
-
सांपों से बचने के लिए घर की दीवारों पर आस्तिक मुनि की दुहाई है क्यों लिखा जाता है घर की दीवारों पर....! आस्तिक मुनि वासुकी नाम के पौरा...
-
संदेह को सत्य समझ के न्यायाधीश बनने का पाठ हमारी . "पुलिस " को अघोषित रूप से मिला है भारत / राज्य सरकार को चा...
-
मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ एवम भुवाणा क्षेत्रों सावन में दो त्यौहार ऐसे हैं जिनका सीधा संबंध महिलाओं बालिकाओं बेटियों के आत्मसम्मान की रक...