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शक्ति आराधना के बिना शिव आराधना स्वीकारते नहीं

स्वर :- इशिता विश्वकर्मा जीवन सृजन का कारण शिव है संरक्षक भी वही है संहार कर्ता तो है ही । इतना महान क्यों है...? सृजन का कारण शक्ति का सहयोग है इसलिए शिव बिना शक्ति की आराधना के अपनी आराध्या को स्वीकार नहीं करते। इसका आप मनन चिंतन कर सकते हैं फिलहाल मेरी यही अवधारणा है जीवन में सब कुछ वेद उपनिषद पुराणों के अनुकूल घटता है । सनातन यही कहता है कि *एकsस्मिन ब्रह्मो :द्वितीयोनास्ति* शिवरात्रि इसी चिंतन का पर्व है । शिव शून्य है अगर शक्ति नहीं है साथ तो उनका कोई अस्तित्व नहीं । शिव अपनी पूर्णता अर्धनारीश्वर स्वरूप में रेखित करते हैं । *My friend asked me Tar bhai I dont know how to discover Lard Shiva* मित्र से पूछा.... *आज घर जाकर पत्नि से पूछना तुम दिनभर में घर के कितने चक्कर लगाती हो लगभग 300 से अधिक की जानकारी मिलेगी । फिर अनुमान लगाना पता चलेगा वो 15 से 20 किलोमीटर वो चली 30 दिन में वो....450 से 600 किलोमीटर चलती है* Yes *तुम 2 किलोमीटर से अधिक नहीं चलते यानी महीने में केवल 60 या 65 किलोमीटर बस न ।* सच है ऐसा ही है ! तब असाधारण कौन तुम या पत्नि ? बेशक पत्नी ही है । जब

ये क्या कहा तुमने

Yah kya kaha Tumne यह क्या कहा तुमने यह मंजर वह नहीं है सोचते हो जैसा तुम। कोई हुक्मरान हवाओं से नहीं कुछ पूछता है....! ना कोई जंजीरें लिए घूमता है...!! ना रंगों पे कोई बंदिश ना लहरें गिनता है कोई? वह अकबर था जिसका...हुक्म था लहर गिन लो ! किसी ने कहा था जा रहे हो दर्शन को जरा सा धन भी गिन दो। इस गुलशन के जितने रंग है सब हमारे और तुम्हारे हैं। हमारे बुजुर्गो ने खून देकर ये सब रंग संवारे हैं। इशारों में जो तुमने कह दिया...! तुम्हारी सोच को क्या हो गया है? बता दोस्त क्या कुछ खो गया है? तुमसे उम्मीद ना थी। नज़्म तुम ऐसी लिखोगे ? ज़हीनों की बस्ती में अलहदा दिखोगे ? गोया विज्ञान तुमने रंगों का पढ़ लिया होता सात रंगों के मिलने का मतलब गढ़ लिया होता । हवा और लहरें रुक कि जो सैलाब होती हैं तो जानो बदलाव की हर कोशिशें आफताब होती हैं। *गिरीश बिल्लोरे मुकुल*