31.12.19

मुकदमा : पीयूष बाजपेयी की तीखी व्यंग्यात्मक टिप्पणी

पीयूष बाजपेयी
तेंदुए ने बोला थैंक्स जज साहब
आपने मेरे बाप दादा की प्रॉपर्टी को मेरे और मेरी आने वाली पीढ़ी के लिए वापस कराया। जिस मदन महल, नया गांव, ठाकुर ताल की पहाड़ी पर आज से 40 से 50 साल पहले मेरे दादा दादी, काका काकी, नाना नानी रहा करते थे, जज साहब आपने उसी प्रोपर्टी को वापस दिलाया। अभी तक में यहाँ से वहाँ भटक रहा था। मेरा मालिकाना हक आपने वापस दिलाया, इसके लिए जितना भी धन्यवाद दू आपको कम है। आज में अपनी जगह पर घूम रहा हूं, खेल रहा हु, और सुबह मॉर्निग वाक भी कर लेता हूँ। लोग मुझे देखते है दूरबीन से कि मै पहाड़ पे बैठा हूँ। बड़ा अच्छा लगता है जब ये लोग देखते है मुझे। क्योंकि मैंने भी इनको देखा है मेरी जमीन पे घर बनाते हुए। मेरे दादा दादी ने ये जगह इसलिए नही छोड़ी थी कि वो डर गए थे। बल्कि इसलिए यहाँ से गये कि उनको रहने खाने के लिए इन्ही लोगो ने मोहताज कर दिया। आज समझ मे आया कि मुझमे और नजूल आबादी भूमि में रहने वाले परिवार और मै एक जैसे ही है। हम दोनों के लिए जज साहब आपने ही मालिकाना हक दिलाने के आदेश दिए। लेकिन पता नही क्यों ये भू माफिया के जैसे कुछ लोग अभी भी लगे है पीछे कि इस तेंदुए को भगाओ तो यहाँ से, पता नही क्यों इन लोगो का क्या बुरा किया है। मेरे बच्चे भी है साथ में और पत्नी भी है।। पत्नी तो कई हफ़्तों से कह रही है चलो यहाँ से ये लोग जीने नही देंगे हमकों , पर मै बोला कुछ दिन तो बिताओ पहाड़ में, जैसे वो अमिताभ बच्चन कहते है की कुछ दिन तो बिताओ गुजरात में। खेर ज्यादा दिन नहीं रह पाएंगे। क्योंकि आपने हमारे लिए कोई ऐसा प्रबंध नही किया अपने आदेश में कि हम परिवार के साथ यहाँ रह सके। वैसे जो लोग मुझे जानते है उनको पता है कि 15 से 20 दिन में उनको कोई परेशानी नही होने दी, अच्छे पड़ोसी की तरह ही हम उनके साथ रहे। तो जज साहब एक काम और कर दे ये जमीन हमारी है तो हमारा खसरे में नाम जरूर चढ़ा दिया जाए। वरना कुछ लोग हमारे आस पास बड़े बड़े घर बना लेंगे और ये एसडीएम और तहसीलदार से लेकर नगर निगम वाले नेताओं के कहने पर फिर से पहाड़ को बेच देंगे। आने वाली पीढ़ियों को पता ही नही चलेगा कि कोई तेंदुआ भी यहाँ रहता था। जज साहब आपके एक आदेश ने जीवन बदल दिया है हमारा। कई दशक बाद आया हूं अपने गांव में इसे मेरा गांव मेरा घर ही बना दो।
आपका प्यारा और बेचारा तेंदुआ।

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