3.11.19

टिकिट चेकर के झापड़ ने प्रेमनाथ को बना दिया था एम्पायर टाकीज का मालिक : श्री सच्चिदानंद शेकटकर





         अपने दमदार अभिनय के लिए प्रसिद्ध रहे अभिनेता प्रेमनाथ हमारे जबलपुर के ही गौरव पुत्र थे। उनने अंग्रेजों द्वारा बनाई गई एम्पायर टाकीज को भी खरीद लिया था। इस टाकीज को खरीदने का किस्सा भी लाजवाब है।
प्रेमनाथ जब स्कूल में पढते थे तब एक बार वो एम्पायर टाकीज की दीवाल फांदकर बिना टिकट लिए पिक्चर देखने बैठ गए। जब टिकिट चेकर टिकिट चेक करने आया तो किशोर प्रेमनाथ से टिकिट मांगी तो उनने टिकिट न होने की बात कही और बताया कि वो बाउंड्री वाल फांदकर अंदर आ गए। टिकिट चेकर ने प्रेमनाथ को एक झापड़ मारा और पकडकर बाहर लाया और बोला जैसे तुम दीवार फांदकर आये थे वैसे ही फांदकर बाहर भागो। जाने के पहले किशोर प्रेमनाथ ने टिकिट चेकर से कहा कि देखना एक दिन मैं इस टाकीज को खरीद लूंगा।
      प्रेमनाथ जब बडे़ हुए और पिता की मर्जी के खिलाफ अभिनय करने मुंबई चले गए। 1952 में उन्होंने एम्पायर टाकीज खरीद ली। मालिक बनने के बाद जब प्रेमनाथ ने टाकीज का उद्घाटन किया तो जिद्दी प्रेमनाथ का रूप सामने दिखा। प्रेमनाथ उसीतरह से बाउंड्री वाल फांदकर टाकीज के भीतर गये जैसे वो किशोर अवस्था में दीवार फांदकर टाकीज के भीतर गये थे। यह संयोग रहा कि प्रेमनाथ को झापड़ मारने वाला टिकिट चेकर तब भी काम कर रहा था। प्रेमनाथ ने उस टिकिट चेकर को बुलाया। घबराते हुए टिकिट चेकर प्रेमनाथ के सामने आया। लेकिन उस नजारे को देखकर सब लोग दंग रह गए जब प्रेमनाथ उसी कुर्सी पर बैठे जिससे उन्हें टिकिट चेकर ने उठाकर भगाया था।

कुर्सी से उठकर प्रेमनाथ ने झापड़ मारने वाले टिकिट चेकर को बिठाया और फूलमाला पहनाकर उसका स्वागत किया उसे मिठाई भी खिलाई। फिर प्रेमनाथ ने टिकिट चेकर को गले लगाया और उससे बोले यदि तुमने मुझे झापड़ मार कर भगाया न होता तो आज मैं इस एम्पायर टाकीज का मालिक नहीं बनता।
ऐसे दिलदार थे हमारे शहर के गौरव प्रेमनाथ अमर प्रेमनाथ। आज पुण्यतिथि पर उन्हें श्रृद्धांजलि।

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जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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