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नवंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वयोवृद्ध फिल्म कलाकार श्रीमती पुष्पा जोशी का निधन

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 फिल्म रेड की दादी श्रीमती पुष्पा जोशी Pushpa Joshi  का दुखद निधन 85 वर्ष की उम्र में अजय देवगन की फिल्म रेड में दादी की भूमिका निभाने वाली श्रीमती पुष्पा जोशी का आज शाम मुंबई में निधन हो गया । पिछले सप्ताह  फिसल कर  गिर जाने से जाने के कारण उनका फैक्चर हुआ जिसका सफलतापूर्वक ऑपरेशन भी मुंबई में ही हुआ था ।  किन्तु दिनांक 26 नवंबर 2019 को रात्रि 11:40 बजे उनका मुंबई में दुखद निधन हो गया । जबलपुर निवासी 87 वर्षीय श्रीमती पुष्पा जोशी के पति स्वर्गीय श्री बी आर जोशी डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यरत थे । जबकि उनके पुत्र आभास  जोशी एवं संगीतकार श्रेयस जोशी है पुत्र श्री रविंद्र जोशी  जितेंद्र जोशी श्री बृजेंद्र जोशी तथा दो पुत्रियां हैं । श्रीमती जोशी के बड़े पुत्र जी संगीतकार थे जिनका निधन हो चुका है । प्रेम नगर जबलपुर निवासी जोशी परिवार कि बुजुर्ग मातुश्री का पूरा जीवन सत्य साई सेवा समिति के साथ नारायण सेवा में बीता । मुझे उनके कर्मठ जीवन एवं हंसमुख स्वभाव ने हमेशा आकृष्ट किया है । निरंतर लोक सेवा के कार्यों में संलग्न मां पुष्पा जोशी जबलपुर से मुंबई अपने पुत्र श्री रविंद्र जोशी के साथ

ट्रांसफर ऑफ़ मेमोरी कैसे होती है

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【साभार : गूगल 】 *कहाँ सुरक्षित रख सकते हैं आप अपनी स्मृतियाँ...!* ईशा फाउंडेशन के प्रवर्तक एवं संचालक सद्गुरु कहते हैं कि मृत्यु के बाद अशरीरी व्यक्ति अर्थात प्राण बीता जीवन याद रख सकता है अपनी पुरानी यादों को.भी । *यह कैसे होता है...?* अभी मैं सद्गुरु की बातों का समर्थन करते हुए कहूंगा की यादें किस तरह से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक या एक जनक से दूसरे जनक तक स्थानांतरित होती है *ट्रांसफर ऑफ़ मेमोरी* का एक सिद्धांत मैं सामने रखना चाहता हूं । आपके डीएनए में जो आपके बच्चे के जन्म तक मौजूद है वह गर्भाधान के समय उसमें ट्रांसफर हो जाता है और फिर जो आपकी पत्नी का डीएनए है उसने जो भी कुछ मौजूद होता है यादों के तौर पर वह भी उस भ्रूण में ट्रांसफर हो जाता है । और इसका परिणाम 9 माह पूर्ण होते ही आप आसानी से देख सकते हैं या तो वह बच्चा आपकी तरह दिखाई देगा या फिर वह आपकी पत्नी की तरह या नहीं बच्चे की मां की तरह यानी समस्त यादें ट्रांसफर हो गई है । फिर घरेलू वातावरण का प्रभाव भ्रूण कल से यानी जब बच्चा गर्भावस्था में विकसित होता है तब की यादें उसके शरीर में जुड़ती हैं आपको याद होगा अभिमन्यु का

आप शांति दूत हैं : हिंदुस्तान महफूज रहेगा

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हिंदुस्तान की तासीर है कि वह विश्व में खुद को एक ऐसी जम्हूरियत के तौर पर पेश करें जहां बस अमन हो बेशक अमन पसंद लोगों का वतन इस बार भी अपनी वही छवि और लोगों के सामने पेश करेगा जो इलाहाबाद हाईकोर्ट के पहले और बाद में पेश हुई थी । विश्व के बहुत सारे देश और हर हिंदुस्तान को समझने वाला इंसान स्तब्ध है कि कल क्या होगा । दोस्तों कल और कल के बाद हिंदुस्तान हिंदुस्तान रहेगा जैसा हिंदुस्तान था । इसमें कोई शक नहीं कि सैकड़ों वर्षा से तिरंगे की शान बरकरार है बरकरार रहेगी यह हिंदुस्तान की हवाओं की तासीर है । कल जो फैसला आना है आने दीजिए हम पूरे सम्मान के साथ उस फैसले को स्वीकार करेंगे । हमारी नस्लें आने वाले फैसले को और उसके बाद की परिस्थितियों को स्वीकार स्वीकारेंगी । आशावादी हूं पूरा हिंदुस्तान एक रहेगा सुप्रीम कोर्ट कल यानी 9 नवंबर 2019 को जो फैसला देगा उसका असर भी पॉजिटिव ही होगा । यह अलग बात है कि लोग जो सवाल उठाने के आदी हैं वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आते परंतु जब देश के जम्हूरियत और अमन पसंद लोग जिनकी संख्या सबसे ज्यादा है जरूर ऐसी ताकतों के खिलाफ एकजुट होंगे और समाज की देश की आंतरिक एकता

क्यों लिखते हैं दीवारों पर - "आस्तिक मुनि की दुहाई है"

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सांपों से बचने के लिए घर की दीवारों पर आस्तिक मुनि की दुहाई है क्यों लिखा जाता है घर की दीवारों पर....! आस्तिक मुनि वासुकी नाम के पौराणिक सर्प पात्र की पुत्री के पुत्र थे । एक बार तक्षक से नाराज जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया और इस यज्ञ में मंत्रों के कारण विभिन्न प्रजाति के सांप यज्ञ वेदी संविदा की तरह आ गिरे । तक्षक ने स्वयं को बचाने के लिए इंद्र का सहारा लिया तो वासुकी ने ऋषि जगतकारू की पत्नी यानी अपनी बहन से अनुरोध किया कि पृथ्वी पर रहने वाले सभी सांपों की रक्षा कीजिए और यह रक्षा का कार्य आपके पुत्र मुनि आस्तिक ही कर सकते हैं । अपने मामा के वंश को बचाने के लिए आस्तिक मुनि जो अतिशय विद्वान वेद मंत्रों के ज्ञाता थे जन्मेजय की यज्ञशाला की ओर जाते हैं । किंतु उन्हें सामान्य रूप से यज्ञशाला में प्रवेश का अवसर पहरेदार द्वारा नहीं दिया जाता । किंतु आस्तिक निराश नहीं होते और वे रिचाओं मंत्रों के द्वारा यज्ञ के सभी का सम्मान करते हैं । जिसे सुनकर जन्मेजय स्वयं यज्ञशाला में उन्हें बुलवा लेते हैं । जहां आस्तिक मुनि पूरे मनोयोग से यज्ञ एवं सभी की स्तुति की जैसे जन्मेजय ने उनसे वरदान मांगने की

टिकिट चेकर के झापड़ ने प्रेमनाथ को बना दिया था एम्पायर टाकीज का मालिक : श्री सच्चिदानंद शेकटकर

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         अपने दमदार अभिनय के लिए प्रसिद्ध रहे अभिनेता प्रेमनाथ हमारे जबलपुर के ही गौरव पुत्र थे। उनने अंग्रेजों द्वारा बनाई गई एम्पायर टाकीज को भी खरीद लिया था। इस टाकीज को खरीदने का किस्सा भी लाजवाब है। प्रेमनाथ जब स्कूल में पढते थे तब एक बार वो एम्पायर टाकीज की दीवाल फांदकर बिना टिकट लिए पिक्चर देखने बैठ गए। जब टिकिट चेकर टिकिट चेक करने आया तो किशोर प्रेमनाथ से टिकिट मांगी तो उनने टिकिट न होने की बात कही और बताया कि वो बाउंड्री वाल फांदकर अंदर आ गए। टिकिट चेकर ने प्रेमनाथ को एक झापड़ मारा और पकडकर बाहर लाया और बोला जैसे तुम दीवार फांदकर आये थे वैसे ही फांदकर बाहर भागो। जाने के पहले किशोर प्रेमनाथ ने टिकिट चेकर से कहा कि देखना एक दिन मैं इस टाकीज को खरीद लूंगा।       प्रेमनाथ जब बडे़ हुए और पिता की मर्जी के खिलाफ अभिनय करने मुंबई चले गए। 1952 में उन्होंने एम्पायर टाकीज खरीद ली। मालिक बनने के बाद जब प्रेमनाथ ने टाकीज का उद्घाटन किया तो जिद्दी प्रेमनाथ का रूप सामने दिखा। प्रेमनाथ उसीतरह से बाउंड्री वाल फांदकर टाकीज के भीतर गये जैसे वो किशोर अवस्था में दीवार फांदकर टाकीज के भ