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मंगलवार, फ़रवरी 26, 2019

सॉरी मां, हम झूठ न बोल सके.........जहीर अंसारी




मां हमें पता है कि इस वक्त पर आप पर क्या बीत रही होगी। हमारी लाशों को देखकर आपका कलेजा बाहर को निकल रहा होगा। हमें यह पता है कि आप कितना जज्ब कर रही होंगी। कभी परमात्मा को तो कभी खुद को कोस रही होंगी। हमारे मृत शरीर को देखकर आपकी आत्मा मरणासन्न अवस्था में होगी। मां तू तो फूटकर रो भी नहीं पा रही होगी। कितने नाजों से पाला था तूने हमें। तेरी कोख में जब हम जुड़वा भाई दुनिया में आने के लिए तैयार हुए थे तो कितना दर्द, कितनी तकलीफ सही थी तूने, हम इसके साक्षी हैं। हमारी पैदाईश के बाद अनगिनत रातें तूने जाग-जागकर बिताई थीं। अपना खाना-पीना दुख-दर्द भूलकर हम दोनों में अपनी खुशी ढूंढने क्या कुछ नहीं किया तूने। हम इस बात के भी साक्षी हैं कि तेरी एक-एक सांसों पर हमारा ही नाम होता था। पर क्या करूं मां, हमसे झूठ न बोला गया। उन दरिंदों ने हमें छोड़ने से पहले पूछा था कि क्या हमें पहचान लोगे, हम ने ‘हां’ कह दिया। कहते हैं न कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं इसलिये हम दोनों ने भी सच बोल दिया। एक सच की इतनी बड़ी सजा मिलेगी, यह अभी हमने सीखा कहां था। मां तूने भी तो अब तक बड़ों के चरणस्पर्श और ईश्वर को प्रणाम करना ही सिखाया था। ईश्वर की पूजा में अपने साथ लेकर बैठती थी और हमारी रक्षा की प्रार्थना करती थी। हम भी भोलेपन के साथ तेरे साथ बैठते, कभी उचकते, कभी तूझे सताते थे। तू प्रेमभरी खिसियाहट से हाथ पकड़कर बिठाल लिया करती थी। ईश्वर को प्रणाम करने कहती थी। तब से अब तक हमें यह मालूम न था कि परमात्मा क्या होता है, सच और झूठ क्या होता है, फरेब और लालच
क्या है। हम तो सिर्फ़ तेरी ममता के आंचल को जानते थे, तेरे हृदय की कोमलता को महसूस करते थे।
मां, अब समझ आया कि दुनिया कितनी जालिम है। सच और झूठ की हकीकत जानी। एक
झूठ शायद हमें तेरी गोद से दूर न कर पाता मगर यह झूठ बोलता कैसे, हमें तो इसकी समझ तक नहीं थी। झूठ की समझतो राजनेताओं को होती है, शासन प्रणाली को होती है, व्यवस्था संचालन के जिम्मेदार लोगों को होती है। उन्हें होती है जो धर्म, समाज और नैतिकता की पाठशाला चलाते हैं। मां, हमें जरा भी इन ठेकेदारों के आचरण-व्यवहार का ज्ञान होता है तो हम भी दो अक्षरों वाला शब्द ‘झूठ’ एक अक्षर में ‘न’ बोल देते। कह देते उन जालिमों से कि हम तूम्हें नहीं पहचान पाएंगे।
मां, एक बात समझ नहीं आई अब तक। अपना देश तो अति धार्मिक है। जितने भी धर्म यहां पलते-पुसते हैं सभी कहते हैं कि परमात्मा की आराधना करो, परमात्मा से डरो, इंसानों की सेवा करो, लोभ-लालच से दूर रहो। फिर ये धार्मिक प्रवृत्ति के लोग कैसे लोभ-लालच में आ जाते हैं, कैसे उन्मादी बन जाते हैं, कैसे आंतकवादी बन जाते हैं, कैसे लूट-खसोट, दुराचार-अत्याचार में लिप्त हो जाते हैं।
मां, जिन्होंने हमें मारा है उनके घर भी परमात्मा की तस्वीर रहेगी होगी। वो भी किसी न किसी ईशदेव को मानते होंगे। उनके घर पर भी नौनिहाल होंगे। बच्चों की किलकारियों उनके कानों में पड़ती होगी, उन्हें भी अपने बच्चों से प्रेम रहा होगा फिर भी उन्होंने हमें मार डाला।
मां, हमें पता है कि तेरे दिल की धड़कन तेज चल रही होगी, मन में ज्वाला की लपटें उठ रही होगीं, तू बदहवाश होगी, तेरे नयन सूखकर मरुस्थल बन गए होंगे, तेरी बाहें हमें समेटने को मचल रही होगीं
लेकिन अब हम दोनों तेरी उम्मीदों से बहुत दूर निकल गए हैं। इतनी दूर जहां से आज तक कोई लौटकर नहीं आया है।
मां, अब तू भी वही कर जो अब तक बताया गया है। नियति के लिखे को मान। धैर्य और संयम रख। हालांकि ऐसा करना तेरे लिये नामुमकिन है फिर भी मां तूझे ऐसा करना होगा। हमारे बिना तूझे जिन्दा
रहना होगा मां, हम तेरे साथ ही हैं मां।
मां, एक प्रश्न हम दोनों के मष्तिस्क में कौंध रहा है। हम जिस देश के वासी हैं उसे सनातन धर्म का जनक कहा जाता है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, और न जाने कितने धर्म यहां पलते-पुसते हैं। सभी
धर्मो में बाल अवस्था से सिखाया जाता है कि लोभ-लालच मत करो, मोह-माया में मत फँसो, मानवता का सम्मान करो, झूठ मत बोलो आदि-आदि। फिर भी इन धर्मावलंबियों के कथित अनुयायी वही सब करते हैं, कर रहे हैं जिसकी मनाही कठोरता से की गई है। ऐसे ही कुछ लालची-निर्दयी तत्वों ने तेरे दोनों नेत्र छीन लिये। सब धर्म कहते हैं कि सच परमात्मा को बहुत
पंसद है, सो हमने भी सच बोल दिया कि ‘ऐ दरिन्दों
हम तुम्हें पहचान जाएंगे’। निश्चित ही हमें सच बोलने का ईनाम परमात्मा अपने श्रीचरणों में रखकर देगा।
मां, हमें बहुत अफसोस हैं कि हम तेरी कोख का कर्ज उतारने से पहले ही तूझे छोड़ गए। पता है तेरे जख्म का कोई मलहम इस दुनिया में नहीं है। है अगर तो सिर्फ़ सब्र’। सब्र रख, सब्र मां। मां तू गर्व से कह सकती है कि तेरे लालों ने सत्य के हवन कुण्ड में आहूति दी है। बस अब मुझे परमात्मा से यही पूछना है कि आदमी आदमियत से कितना नीचे और गिरेगा। दुनिया के लोगों से भी बस एक ही प्रार्थना है कि बंद, मोमबत्ती, संवेदना, मातम, जांच, न्याय, गालियां, धर्म, जात, समाज और मौन से ऊपर उठकर स्वयं में स्थित होकर नैतिक और सभ्य बनो।
बाय मां, अपना और पापा का बहुत ख्याल रखना।
तुम्हारे जिगर का टुकड़ा...
प्रियांश और श्रेयांस
.......

जय हिन्द
जहीर अंसारी

शुक्रवार, फ़रवरी 22, 2019

एक खत इमरान खान के नाम


श्री इमरान खान साहब
      सादर अभिवादन
आप आतंकवाद का शिकार है इस बात का पूरे विश्व को गुमान है किंतु आपने आतंकवाद का बायफरकेशन किया है.. इसलिए आप आतंकवाद से पीड़ित हैं ।
 इतना ही नहीं आप ने आतंकवाद को गुड टेररिज्म के नाम पर जो पाल रखा है उससे आपको निजात चाहिए तो भारत से क्षमा सहित  प्रार्थना कीजिए समूचा भारत आपकी एक  कदम आगे बढ़ने पर स्वयं दो कदम आगे बढ़कर आपकी मदद के लिए आगे आएगा । किंतु आप ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि आप एक ऐसी सिविल गवर्नमेंट के प्रमुख हैं जिसकी बागडोर आई एस आई और आप की फौज जिसके हाथ में आपकी सिविल गवर्नमेंट की डोर है ।
    इमरान साहब सोचिए आप के लोगों का शिक्षा का स्तर बेरोजगारी निर्धनता आप की सरकार को चलाने के लिए जरूरी पैसा आपके  औद्योगिक विकास की दर क्या है ?
    हर बार आप की ओर से युद्ध का शंखनाद होता है कई बार तो आप पीओके के रास्ते अपने किराए के सैनिक टेररिज्म फैलाने के लिए भारत में भेजते हैं । किंतु भारत को यकीन मानिए युद्ध सर्वदा अस्वीकार्य रहा है । अगर आपने  अब तक  किताबें ना पड़ी हो  तो पढ़ लीजिए  जिनमें स्पष्ट तौर पर  लिखा है - युद्ध के बाद  की परिस्थिति क्या होती है  । जिन देशों ने युद्ध की तस्वीर देखी है उनके नागरिकों से जानिए अगर नहीं जान सकते तो जानिए आर्काइव में जाकर युद्ध कितने खतरनाक और मानवता के विरुद्ध का षड्यंत्र है । लेकिन कुछ देश युद्ध को अपना अंतिम लक्ष्य मानते हैं । ना वे स्वयं शांति से रह सकते और ना ही अपने पड़ोसी देशों को शांति से रहने देते हैं । दक्षिण एशिया में ऐसे  दो उदाहरण हैं  एक पाकिस्तान और  दूसरा  चीन किंतु परिस्थितियों में पूरी तरह व्यवसाई है जबकि पाकिस्तान पूरी तरह 1947 के बाद से आज तक वही कटोरा लिए पूरे विश्व से मांगता फिरता है परंतु युद्ध की अभिलाषा  सदैव  बनी रहती  है ।
 वास्तव में पाकिस्तान एक कुंठित राष्ट्र है कुंठा से बनाया गया देश ठीक उसी तरह होता है जैसे गुस्सैल और चिड़चिड़ी दंपत्ति की संताने भी अपने माता पिता के पद चिन्हों पर चलती हैं ।
   कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान की बुनियाद सिर्फ इसीलिए दुनिया सिर्फ इसी लिए रखवाई  ताकि वे राष्ट्र प्रमुख बन जावे . और उनकी यही अति महत्वाकांक्षा ने ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर दिया जो आतंक का घर बन गया है ।
 भारत का यह वह हिस्सा है  जहां भारत की रियासतों की कुंठित लोग जा बसे । सिंध गिलगित और बलूचिस्तान प्रांत के लोग जो वहां के मूल निवासी हैं को भी डिस्क्रिमिनेट किया जाने की कोशिश इन्हीं रियासतों की नवाबों ने 48 के आसपास ही शुरू कर दी थी । जहां तक कश्मीर मसले का सवाल है पाकिस्तान की देन है पाकिस्तान ने अगर 47 के बाद कश्मीर के भीतर घुसपैठिए ना भेजे होते तो आज बेशक बटवारा पाकिस्तान की हित में भी होता किंतु पाकिस्तान की अवाम को बेवकूफ समझने वाली पाकिस्तान की आर्मी के लोग पाकिस्तान के विकास को अवल दर्जा नहीं देते ।  और विश्व में उनका यश और सम्मान बना रहता किंतु आए दिन सुनने को मिलता है कि पाकिस्तान के पासपोर्ट पर नजर पड़ते ही विश्व के अधिकांश देश के लोग यहां तक कि प्रशासन भी व्यक्ति को संदिग्ध ही समझता है । यह बात मैं नहीं कह रहा हूं यह बात पाकिस्तान के लोग स्वयं स्वीकारते हैं ।
   पाकिस्तान ने इन 70 वर्षों में अपनी विश्वसनीयता खुद को ही है भारत ने कबायली घुसपैठियों को जो वास्तव में पाकिस्तान की  पहले आउट सोर्स आर्मी  के सिपाही थे उस समय सह लिया था । इमरान खान साहेब को पूरे सम्मान के साथ बता दिया जाना चाहिए कि  भारत की लोक आज भी हंडी पर चढ़ा हुआ चावल पक्का है अथवा नहीं केवल एक दाने से परख लेते हैं । भारत चाणक्य का देश है । भारत तक्षशिला नालंदा का देश है इन संदर्भों को पड़ोसी मुल्कों को हमेशा ध्यान रखना होगा खासतौर पर पाकिस्तान  को ।
    यहां हर एक व्यक्ति सामान्य रूप से शांति का अनुयाई है । जबकि जिन्ना साहब का पाकिस्तान 70 साल बाद भी कुछ खास हासिल न कर पाने वाला  आतंक का घर बना  है ।
     अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले 10 सालों में पाकिस्तान गृह कलह गंभीर शिकार हो जाएगा । अगर पाकिस्तान को अच्छे और बुरे आतंकवाद का वर्गीकरण करना आता है तो उसे विकास का महत्व भी समझ में आना चाहिए था ।  पिछले 70 सालों में मोटा कपड़ा पहन कर पतला राशन खा कर भारत ने विकास की तरफ ध्यान दिया है भारत का हर परिवार का कोई ना कोई बच्चा भारत से बाहर जाकर नौकरी कर रहा है बावजूद इसके कि भारत में आज भी रोजगार के अवसर उतनी कम नहीं है जितने की पाकिस्तान में हैं । भारत की औद्योगिक विकास की रफ्तार को समझने की जरूरत है ।  अगर भारत से पाकिस्तान सद्भावना के साथ अच्छे और बुरे आतंकवाद को परिभाषित किए बिना आतंक के खिलाफ मदद मांगता तो निश्चित तौर पर भारत की सरकार मदद अवश्य  करती । किंतु जो राष्ट्र कुंठा का महासागर हो उस राष्ट्र के विद्वान भी महत्त्व हीन हो जाते हैं ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान के लोग भारत के आम शहरीयों की तरह विकास नहीं चाहते ।  किंतु पाकिस्तान की सदा से कठपुतली साबित होती रही सिविल गवर्नमेंट में  आत्मशक्ति की कमी सदा से बनी रही .
    पिछले 1 सप्ताह में जब से भारत ने मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा छीना है तब से पाकिस्तान के सप्लायर बेहद तनावग्रस्त है और यह मामला  पाकिस्तानी  गृहयुद्ध की स्थिति को बढ़ा बढ़ावा  देगा । अभी तो हमने अखरोट ही बंद किए हैं अभी टमाटर और शक्कर की ट्रक वापस तो जाने दीजिए देखिए किस तरह आप की चरमराती है अर्थव्यवस्था ध्वस्त ना हो जाए तो समझिए की साक्षात कुबेर आप पर मेहरबान हैं । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री इमरान खान को समझ लेना चाहिए कि अगर वे बाहरी देश यानी भारत से युद्ध छेड़ देते हैं अथवा हमारी आतंक विरोधी नीतियों का समर्थन नहीं करते हैं तो इतना तय है की आप गृह युद्ध से आने वाली 10 सालों तक जुड़ते रहेंगे ।
    आपकी आवाम के प्रति भारत के किसी भी व्यक्ति में कोई दुराव नहीं है किंतु क्या आप जिस तरह इस्लाम के नाम  पर आतंक को पाल रहे हैं वह इस्लाम यह नहीं सिखाता की युद्ध करते रहो ।
   भारत में अगले डेढ़ साल तक चुनाव के अवसर आते रहेंगे लोकसभा के बाद स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे हमारे ऐसे डेमोक्रेटिक पर्व मनाए जाते रहेंगे ।  भारत का प्रजातंत्र युद्ध  जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देता सबको अपनी अपनी सहिष्णुता पर विश्वास है भारत नहीं चाहता कि आपके बच्चे भूखे नंगे रहें । बल्कि भारतीय चाहता है कि आप भी वैसे ही तरक्की करें जैसी भारत ने की है ।
 आप युद्ध के इतने शौकीन हैं तो इमरान साहब ध्यान रखिए की युद्ध क्रिकेट का खेल नहीं है और अगर आपने अपने अध कचरे राजनीतिक ज्ञान के आधार पर युद्ध करने की कोशिश की तो आप की स्थिति क्या होगी इसका मीजान आपको शीघ्र लगाना होगा ।  शीघ्र यानी एक-दो साल नहीं बल्कि अगले 15 दिवस में ।
शेष अगले पत्र में ।
    ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे
 

सोमवार, फ़रवरी 18, 2019

“पहले अंदर की सफ़ाई करो फ़िर पाकिस्तान की ठुकाई करो ! !”

पहले अंदर की सफ़ाई करो
फ़िर पाकिस्तान की ठुकाई करो ! !

बहुत से मित्र लगातार मेसेन्जर पर आग्रह कर रहे थे , कि मैं पुलवामा की घटना पर कुछ लिखूं ! !
(कुछ दिनों से मैं fb पर नहीं था , इसी बीच पुलवामा की घटना घट गई ! )
चलिए , लिख रहा हूं !
आज अभी ही फ़ेस बुक अकाउंट खोला है !
सबसे पहले तॊ कामरान गाज़ी औऱ बिलाल जैसे दुर्दांत टेरेरिस्टस के ढ़ेर किए जाने की बधाई !! !
आज fb खोलते ही Time line पर 50-60 पोस्ट scroll कर- कर के देखीं !
जो मैं नहीं पढ़ना चाहता था , औऱ पढ़ने मिला , ...वो ये था -

- ये Security failure है !
- ये शहादत नही है, क्योंकि वे 40 martyrs, लड़ते हुए नही मरे !
- ये हमला , चुनाव से एन पहले सरकार की साज़िश तॊ नही ? ?
- कश्मीर पाकिस्तान को दे दो, झंझट ख़त्म करो !
- भारतीय फ़ौज कश्मीर में मानवाधिकाओं का हनन करती है !
- हुर्रियत नेताओं से बातचीत ज़रूरी है , वे कश्मीर की आवाज़ हैं !
- राष्ट्रवाद , फासीवादी सोच है !
- इसके अलावा मोदी को ढ़ेर सारी गालियां भी ! !

ऐसा लिखने वालों को कुछ भी कहने से पहले ये जान लें कि इनकी संख्या कोई छोटी- मोटी नही है ! आबादी का 10% हैं !
इंटेलेक्चुअलस में इनकी संख्या 30% है !
औऱ इन सो कॉल्ड बुद्धिजीवियों से भाई- बंदी रखने वालों की संख्या भी कुछ कम नही है !

पहले सोशल मीडिया में छिपे गद्दारों की ही बात कर लें !
आपको अपनी ही फ्रेंड-लिस्ट में ऐसे सैकड़ों लोग मिल जाएंगे जो इन राष्ट्रविरोधी औऱ So called मानवाधिकार वादी सोच रखने वाले बुद्धिजीवीओं की पोस्टों पर likes भी देते हैं !

पहले तॊ मैं आप ही से कहता हूं कि अपना दोगलापन बंद करें !
बिन पेंदी के लोटे न बनें !

अपनी प्रामाणिकता बना कर रखें !

जब तक 'एक विश्व' की अवधारणा पूरे विश्व में नही आती है, तब तक राष्ट्रवाद आवश्यकता है ! जी हां , प्रखर राष्ट्रवाद ! !

अंडमान निकोबार में अभी भी ऐसे कबीले मौज़ूद हैं , जो बाहरी लोगों को देखते ही एकजुट हो जाते हैं ! वे अपनी बनाई संस्कृति औऱ जीवन पद्धति खोना नही चाहते ! !
अमरीका के ख़िलाफ़ वियतनाम युद्ध इसकी मिसाल है !
( राष्ट्रवाद औऱ मानवाधिकार , इस विषय पर कभी अलग से पोस्ट लगाऊंगा ! )

भारत में राष्ट्रवादी चिंतन कभी भी पूर्णतः विकसित नही हो पाया ! इसके इतिहासगत कारण हैं !
अलग - अलग क्षेत्रों के राजाओं के अपने - अपने स्वार्थ थे ! !

यहां जयचंद , मीर ज़ाफर औऱ सिंधिया जैसे गद्दारों की परम्परा बहुत पुरानी है !
326 ई .पू . महान पोरस के ख़िलाफ़ आम्भीक की गद्दारी से लेकर अब तक ये देश गद्दारों से जूझ रहा है !

वर्तमान में इस गद्दारवादी सोच ने राष्ट्रवाद विरोधी , मानवाधिकार समर्थित , वामपंथी जामा ओढ़ लिया है ! !

इन Shortsightedness वाले, पत्थर बाजों के समर्थक कमअक्लों को यह तक नही पता कि दूसरे देशों में मानवाधिकार के क्या क़ानून हैं !

कम्युनिस्ट चीन में 10 लाख वीगर मुसलमान (Uighur Muslims ) जेल में डाल दिए गए हैं !
उनकी मस्जि़द बंद , दाढ़ी नही रख सकते , बुर्का नही पहन सकते !
शिन जियांग में उनकी नसबंदी तक कराई जा रही है !
ज़रा इस पर भी तॊ बोलें भारत के कम्युनिस्ट ? ?
वहां जाकर बोलिए -
" चीन तेरे टुकड़े होंगे , इंशाअल्लाह इंशा अल्ला !"
टैंकों से रौंद डालेगी , वहां की कम्युनिस्ट सरकार !

सऊदी अरब , मलेशिया , कुवैत आदि के क़ानून आपको वैसा जीने की इजाज़त नही देते , जैसा आप भारत में जीते हैं ! !

अगर 'बम' में दम है , तॊ वहां जाकर मानवाधिकार की बातें कीजिए ! !

कोड़े मारकर आपकी 'बम ' सुजा देंगे वे लोग ! !

जब तक विश्ववाद साकार नही हॊता है , तब तक
राष्ट्रवाद एक अनिवार्य आवश्यकता है, ये बात अच्छी तरह से समझ लें ! !
मेरे देखे तॊ भारत की समस्या ही यह है कि यहां प्रखर राष्ट्रवाद कभी आकार ही नही ले पाया !

हर युद्ध में आधा संघर्ष अपने ही लोगों से हुआ है !
आधी लड़ाई भीतरघातियों , आस्तीन के साँपो से लड़ना पड़ी है ! !
सिकंदर से लेकर हूणों तक , औऱ तुर्क, अफगानों, मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक ! !
हर लड़ाई में 10 फ़ीसदी गद्दार अपने ही बीच मौज़ूद थे ! !
आज गद्दारी का स्वरूप बदल गया है !
अब गद्दारों का हथियार सोशल मीडिया , न्यूज़ चैनल , कांफ्रेंस , सेमिनार हैं ! !

पहले गद्दारों का काम , सैन्य सहायता देना , ख़ुफ़िया जानकारी leak करना हॊता था !
अब इनका काम , राष्ट्रवाद की जड़ों पर मठ्ठा डालना है ! !
इनसे जूझने के लिए पोरस , राणा प्रताप , शिवा जी औऱ लक्ष्मीबाई जैसे उन्नत भाल योद्धाओं की पुनः दरकार है ! !

औऱ जो लोग राष्ट्रवाद को फ़ासीवाद कहते हैं , वे जान लें कि अगर सचमुच ही फासीवाद आ गया न , तॊ यहां गद्दारों की वही दुर्गत होगी जो हिटलर नें यहूदियों की की थी !
लाल झंडे के नीचे स्टालिन नें जो कत्लेआम किया था वो किससे छिपा है !
अब वह विचारधारा (Left ) विश्व में अस्वीकार हो चुकी है !

जिसका झंडा ही नही बचा , उसका डंडा कब तक पकड़े रहेंगे आप ? ?
जो लोग अपने आरामदायक कमरों में बैठकर कॉफ़ी पीते हुए , यह कह रहे हैं कि -
'राष्ट्रवाद एक ज़हरीली मनोवृति है , ' वे जान लें कि ..जब आतंकवाद (पाकिस्तान ) औऱ विस्तारवाद (चीन ) रूपी दुश्मन आपका टेंटुआ दबाने सिर पर खड़ा होगा ना ,
उस वक़्त राष्ट्रवाद ही आपकी रक्षा करने वाला है !
जांबाज फ़ौजी ही काम आएंगे तब ! !

ये बड़ी बिंदी औऱ उजड़े बालों वाली पलटन नही !

घरों में अवार्ड सजाने वाली गैंग नही , बल्कि कंधे पे मेडल सजाए फ़ौजी ही काम आएंगे तब ! !

उस वक़्त आपकी क़लम औऱ ब्रश काम नही आएंगे !

उस वक़्त तॊ ,
बंदूक उठाकर दुश्मन के माथे पे टिकली बना देना ही बड़ी से बड़ी चित्रकारी है ! ! !
उस वक़्त तॊ ,
गोली की आवाज़ ही महानतम कविता है ! !

अब एक- एक करके उन बातों का ज़वाब जो पोस्ट के शुरू में मेन्शन की थीं ! !

- ये सिक्योरिटी फेल्यर है !
उत्तर - सेना जनरल का बयान पढ़ें , जिसमें उन्होनें कहा कि मेहबूबा सरकार नें हर जगह चेकिंग के नियम को रद्द करवा दिया था ! मानवाधिकार उल्लंघन के नाम पर ! !
दुसरी बात , आत्मघाती दस्तों से सुरक्षा की समस्या , पूरे विश्व की समस्या है !
अमरीका के Twin Tower उड़ा दिए गए थे !
श्रीलंका में दशकों तक इनका आतंक चला है !
इंग्लैंड , फ्रांस जैसे देश भी फिदायीन दस्ते का ईलाज नही खोज पाए हैं , अब तक ! !
तॊ कृपया इसे Security failure कहना बंद करें !
हां , जो Loopholes हैं , वे अवश्य दूर किए जाने चाहिऐ ! !

- ये शहादत नही है !
उत्तर - शहादत सिर्फ़ लड़ते हुए मरना नही हॊता !
छिपी हुई माईन्स पे पैर पड़ जाना , बम डिफ्यूज़ करते समय बम का फट जाना , रिमोट बलास्ट , पीछे से गोली , डायरेक्ट फाईट , one to one fight ..ऐसे अनेक रूपों में शहादत देते हैं हमारे फ़ौजी ! !
तॊ कृपया ऐसी जहालत भरी , गलीज बातें ना करें , कि ये शहादत नही थी ! !

- कश्मीर पाकिस्तान को दे दें ! !
उत्तर - कश्मीर का सामरिक , रणनीतिक महत्त्व जिन्हेँ नही मालूम , वे ही ऐसी बातें कह सकते हैं !
सामरिक महत्त्व के सारे ठिकाने भारत के नियंत्रण में होने चाहिएं ! !

इसी तरह अनेकों प्रश्नों के ज़वाब देने को मैं तैयार बैठा हूं ! !
आख़िरी बात ,
हमने सफ़ाई शुरू कर दी है !
बहुत सारे मानवतावादी , राष्ट्रविरोधी लोग Unfriend कर दिए गए हैं ! !
ऐसा कोई भी नज़र आया , जिसने स्वंय या किसी अन्य की राष्ट्रविरोधी पोस्ट share की , या like की , तॊ वह तत्काल प्रभाव से Unfriend कर दिया जाएगा ! !

क्योंकि अंदर की सफ़ाई तॊ हमें ही करनी है !
बाक़ी , पाकिस्तान की ठुकाई तॊ सेना कर ही लेगी !
Salute to Indian Army ! !
जय हिंद ! !

##सलिल ##

शनिवार, फ़रवरी 16, 2019

आंतकवाद की गर्भनाल पर प्रहार करो ज्वलंत : जयराम शुक्ल


"कल सपने में इन्दिराजी दिखी थीं। रक्षा मंत्रालय के वाँर रूम में  इस्पात से दमकते चेहरे के साथ युद्ध का संचालन करते हुए।
दृश्य 1971 के युद्ध के दिख रहे थे। ढाका में पाकिस्तान का जनरल नियाजी अपने 93 हजार पाकी फौजियों के साथ ले.जनरल जेएस अरोरा के सामने घुटने टेके हुए गिड़गिड़ाता हुआ।
इधर गड़गड़ाती तोपों के साथ लाहौर और रावलपिन्डी तक धड़धड़ाकर घुसते टैंक। आसमान से बमवर्षक जेटों की चीख और धूल-गदरे-गुबार से ढंका हुआ पाकिस्तान का वजूद।
मेरे जैसे करोड़ों लोगों को आज निश्चित ही इन्दिराजी याद आती होंगी जिन्होंने देश के स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं किया।".........
-तब से अब तक की जमीनी हकीकत में यह बदलाव हुआ कि पाकिस्तान  दुनिया भर के शैतानों की धुरी बन चुका है। हर कोई उसे इजराइल शैली में जवाब देने की बात करता है
-हकीकत के फलक पर खड़े होकर एक बात गौर करना होगी। इजराइल जिन मुल्कों से घिरा है उनके पास आणविक हथियार नहीं हैं तथा उसकी पीठ पर अमेरिका, इंग्लैण्ड और फ्रांस जैसे नाटो देशों का हाथ है।
-यहां पाकिस्तान एटम बमों से लैश है, उसकी शैतानियत की गर्भनाल इन्हीं एटमी हथियारों के नीचे गड़ी है। सही मायने में पूछा जाए तो दुनियाभर के इस्लामिक आतंकवाद को यहीं से ऊर्जा मिलती है।
-अब तक दुनिया में जहां कहीं जितनी भी बड़ी आतंकी वारदातें हुयी हैं उसका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान से सम्बन्ध रहा है।
- पाकिस्तान को सेवा-चिकित्सा व शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिका जितना भी अनुदान देता है उसका हिस्सा हाफिज के जमात-उद-दावा, जैश-ए-मोहम्मद के खाते में चला जाता हैं और उसी रकम से कश्मीर में जब-तब दबिश देने वाले आतंकी तैय्यार होते हैं।
-पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की नीति अभी भी भारत के लिए एक अबूझ पहेली की भांति है। आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि अमेरिका सबकुछ जानते हुए भी आँखे मूदे हुए है,और उसी की खैरात में दी गई रकम से अप्रत्यक्ष रूप से आतंकी संगठन पल रहे हैं।
- जनमत के दवाबवश जब अमेरिका पाकिस्तान की मदद से थोड़ा पीछे हुआ तो चीन ने उसकी भरपाई कर दी। अजहर मसूद उसका घोषित लाड़ला बना हुआ है।
-याद करिए संयुक्तराष्ट्र संघ की सहमति से अमेरिका ने इराक पर इस संदेह के आधार पर हमला कर उसे बर्बाद किया था कि वहां उसने जैविक व रासायनिक हथियार जुटा लिए हैं।
-अमेरिका को वो नरसंहार के हथियार मिले या नहीं लेकिन इराक मिट्टी में मिल गया और सद्दाम हुसैन को चूहे की मौत
मिली।
-यह निष्कर्ष भी अमेरिकी का ही है कि पाकिस्तान की मिलिट्री और उसकी खुफिया एजेन्सी आईएसआई आतंकवादी संगठनों से मिले हुए हैं और वे इनका इस्तेमाल पड़ोसी देशों के
खिलाफ रणनीतिक तौर पर करते हैं।
- पाकिस्तान की जम्हूरियत  वहां की मिलिट्री की बूटों के नीचे दबी है।  लोकतंत्र महज मुखौटा हैं। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के एटमी हथियार
सर्वदा असुरक्षित हैं और जो मिलिट्री एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को पाल सकती है वह किसी भी हद तक जा
सकती है।
-आतंकवाद का दायरा जिस तरह बढ़ता जा रहा है आज नहीं तो कल एक निर्णायक जंग छिडऩी ही है ऐसी स्थिति में यदि पाकिस्तान के एटमी हथियारों का जखीरा आतंकवादियों के हाथ लग गया तो दुनिया का क्या हश्र होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

-जेहाद के नाम पर आतंक का कारोबार करनेवाले जैश ए मोहम्मद, आईएसएस, अलकायदा और तालीबान जैसे संगठनों के शुभचिन्तक पाकिस्तान की मस्जिदों के बाहर मिलिट्री में भी हैं व वहां के राजनीतिक संगठनों में भी।

- अब वक्त की मांग यह है कि पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठान को संयुक्त राष्ट्र संघ अपने कब्जे में लेकर इस बात का परिक्षण करे कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम कितना शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और कितना उसके शैतानी मंसूबों के लिए।

- भारत की अब यही रणनीति होनी चाहिए कि वह पाकिस्तान पर कार्रवाई के लिए वैसा ही विश्वमत बनाए जैसा कि अमेरिका ने कभी ईराक के खिलाफ तैय्यार किया था। यूरोपीय देशों की हर आतंकी घटनाओं के सूत्र पाकिस्तान से संचालित होते हैं। आज पुलवामा में धमाका हुआ है तो कल ऐसे ही पेरिस परसों लंदन और नरसों वाशिंगटन में भी हो सकते हैं।

- अब जरूरी है कि पाकिस्तान के एटमी जखीरे पर संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना का कब्जा हो। या विश्व जनमत भारत की ऐसी कार्रवाई का समर्थन करने आगे आए।

-परमाणु शक्तिविहीन पाकिस्तान में कोई आतंकी शिविर भी नहीं चल पाएंगे क्योंकि ऐसी स्थिति में इन शिविरों को निपटाने में भारत कोई ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

-और अंत में
सांप को वश में करना है तो उसके विषदंत को तोड़ दीजिए, इसके बाद भी फुफकारे तो कुचल दीजिए, समूचा देश यही चाहता है । आम हिन्दुस्तानी को उसके एटम बम का डर नहीं क्योंकि जब राष्ट्र रहेगा उसका स्वाभिमान बना रहेगा तभी जीने का मतलब है।

संपर्कः 8225812813

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