29.8.18

स्वर्ग की बातें झूठी बातें


स्वर्ग की बातें झूठी बातें,इल्म तो है मस्ताने को
हम क्यों जाएं पागलखाने पागल को समझाने को
जब भी हम खुद से मिलते हैं,खुद को जाना करते हैं
हम खुद से ही फिर सीखेंगे,क्यों आए समझाने को
कितने पंथ कितनी राहें,कितने दर्शन कितनी सोच
हम तो हैं कबीर के अनुचर,गीत हमें भी गाने दो
अपनी गठरी खुद ही रख लो,हमको मत दो बोझा ये
हम खुद अपना कमा ही लेंगे,खुद को भी अजमाने दो
ईश्वर अल्लाह परमपिता सब से मिलना है हमको
किसने सौंपा तुमको जिम्मा इन सब से मिलवाने को
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*

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