अचार की एक फांक : हरेश कुमार की वाल से
गुरुकुल घरोंदा के एक आचार्य थे। वे जनसंघ के टिकट पर सांसद बन गए, तो उन्होंने सरकारी आवास नहीं लिया। वे दिल्ली के बाजार सीताराम, दिल्ली-6 के आर्य समाज मंदिर में ही रहते थे । वहां से संसद तक पैदल जाया करते थे कार्रवाई में भाग लेने। वे ऐसे पहले सांसद थे, जो हर सवाल पूछने से पहले संसद में एक वेद मंत्र बोला करते थे। वे सब वेदमंत्र संसद की कार्रवाई के रिकॉर्ड में देखे जा सकते हैं। उन्होंने एक बार संसद का घेराव भी किया था, गोहत्या पर बंदी के लिए । एक बार इंदिरा जी ने किसी मीटिंग में उन स्वामी जी को पांच सितारा होटल में बुलाया। वहां जब लंच चलने लगा तो सभी लोग बुफे काउंटर की ओर चल दिये। स्वामी ही वहां नहीं गए । उन्होंने अपनी जेब से लपेटी हुई बाजरे की सूखी दो रोटी निकाली और बुफे काउंटर से दूर जमीन पर बैठकर खाने लगे। इंदिरा जी ने कहा - "आप क्या करते हैं ? क्या यहां खाना नहीं मिलता ? ये सभी पांच सितारा व्यवस्थाएं आप सांसदों के लिए ही तो की गई है।" तो वे बोले - "मैं संन्यासी हूं। सुबह भिक्षा में किसी ने यही रोटियां दी थी । मैं सरकारी धन से रोटी भला कैसे खा