16.9.17

बामियान से बुद्ध को मिटा

सोचता था आज न लिखूं..... 
पर क्यों न लिखूं.. ? 
लिखना ज़रूरी है .. वरना नींद न आएगी.. 
आज नहीं तो कल सो सकता हूँ . अदद चार घंटे तो सोना है.. फिर क्या था बैठ गया लिखने . किसी माई के लाल ने न रोका... 
मित्रो अक्सर मुझे यही सिचुएशन हैरान कर देती है . तीन बज जाते हैं कभी तो रात तीन बजे तक  ज़ारी होता है लखना... यानी देखना फिर लिखना ... क्या देखता हूँ ... देखता हूँ.. विचारों के साथ तैरतें हैं दृश्य ... फिर लिखता रात भर उन पर आओ एक मुक्त कविता देता हूँ ... 

हाँ लिखता हूँ  
कविता लिखना गुनाह नहीं है .. 
अगर तुम घायल होते  हो   !
मुझे परवाह नहीं है. 
बामियान से बुद्ध को मिटा 
रोहिंग्या के बारे में सोचते हो .. 
रो तो मैं भी रहा हूँ .. बुद्ध पर .. 
चीखते रोहिंग्या लोगों पर ..
गलत लिखा क्या .. ?
गलत लिखता नहीं 
गलत तुम समझते हो ..
क्यों डरते हो इलाहाबाद के 
प्रयागराज होने पर लिखा है न वही प्रयाग था.. 
तो होने दो प्रयाग को प्रयाग ..
क्या फर्क पड़ता है 
रोटी कहो ब्रेड कहो .
पेट तो सबका भरता है 
सच कहूं  
मैं निर्विकार ब्रह्म से मिलता हूँ 
एकांत में तब कविता उभरती है 
और जब साकार ब्रह्म से बात करता हूँ तो 
गीत अपनी अपनी धुन सहित आते हैं..
ज़ेहन में . 
मंटो आते हैं तो रेशमां भी आतीं हैं 
पता नहीं मेरे  मामा किसी 
मुस्लिम दोस्त के पाकिस्तान जाने पर क्यों 
उसे तलाशते .. थे ..!
जब उनने जाना कि दोस्त दुनिया में नहीं है 
तो उसके नाम का तर्पण करते थे ,,?
क्यों .. न खुदा के घर से कोई नोटिस मिला 
उनको न भगवान ने कोई परवाना भेजा .. 
पर हाँ 
मुझे एक एहसास मिला 
जो गुरुदेव ने कहा - "प्रेम ही संसार की नींव है"
तुम नफरत न बोना ... 
नफरत से न सम्प्रदाय बचेंगे न धर्म 
बचेगी कुंठा ... और होंगे युद्ध .. 
बच्चे जो भगवान हैं.. 
बच्चे जो फ़रिश्ते हैं .. 
उनके जिस्म मिलेंगे ... सडकों पर 
कविता लिखना गुनाह नहीं है .. 
अगर तुम घायल होते  हो   !
मुझे परवाह नहीं है... 



  
   

कोई टिप्पणी नहीं:

Wow.....New

Is everything predestined ? Dr. Salil Samadhia

आध्यात्मिक जगत के बड़े से बड़े प्रश्नों में एक है  - क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित है ?  (Is everything predestined ? ) यदि हां , तॊ...