जीभ-पलट गीत गाने में जितने कठिन लिखने में लगे उतने पढ़ने में नहीं . पर एक बात तयशुदा है कि जब आप जीभ के लिए
कठिनाई पैदा करने वाला ये गीत गाएंगें तो न तो आप न ही कोई जो सुन रहा होगा हँसे
बिना रह न सकेगा ..
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कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
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ऊबड़-खाबड़ रास्ता , बूढ़ा बक़रा हांफता
!
चीकू की कापी ले बन्दर बैठा- डाल पे जांचता !
मम्मी पापा बाहर निकले, रुत आई तब छूट की
कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
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एक कहानी गोधा रानी मल्ला चोर खींचे डोर
पांव देख के रोए मोरनी , बादल देखे नाचे मोर
नाच मयूरी ले लाऊंगा.. सोलह जोड़ी बूट की
कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
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सरपट गांव का रास्ता, बकरा कैसे खांसता ?
बन्दर का टूटा था चश्मा कैसे कापी जांचता ?
गोधा रानी कहां की रानी मल्ला चोर कैसा चोर
बनी दुलहनियां देख मोरनी, मस्ती में फ़िर नाचे मोर ..
पहले-पहल कही मेरी...... सारी बातें झूठ थीं
कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
गिरीश
बिल्लोरे “मुकुल”