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ब्राह्मण बच्चे की मर्मस्पर्शी कहानी उसी की जुबानी


आज व्हाट्सएप पर एक वीडियों मिला यह वीडियो यूट्यूब पर हुरदंग-न्यूज़ द्वारा 2 जुलाई 2017 को  अपलोड किया गया है. इसे आप इस लिंक पर देख सकते हैं https://www.youtube.com/watch?v=DwA_z1H34VY मुझे लगा कि शायद किसी ने शरारत की है पर जब बच्चे के बताए उसके भाई के रोल नंबर का रिज़ल्ट देखा तो दंग रह गया . रिजल्ट वही निकला जो बच्चे ने बताया.  
पितृ विहीन यह बच्चा अपने अन्य दो भाइयों के साथ रीवा जिले में रहता है. अध्ययन के लिए  अनारक्षित वर्ग का होने के कारण अपना भविष्य बनाने के लिए बच्चा नीलकंठ दुबे रीवा से सतना के बीच इंटर सिटी में अखबार बेचता है. बच्चे ने अपने इंटरव्यू में बताया की उसके दो भाई बहुत उम्दा पढ़ाई करते हैं. बड़े भाई को सरकारी और गैर सरकारी इमदाद मिलने का ज़िक्र करते हुए बताया कि वह अपने भविष्य के प्रति बेहद संवेदित है . इतना ही नहीं वो लाखों शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए बच्चों को सरकारी मदद की अपेक्षा करतें हैं .
नीलकंठ का आत्मविश्वाश बेहद सराहनीय है. आइये अपने प्रदेश को महान बनाने इन बच्चों के लिए कुछ करें .


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मेरे बारे में

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जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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