मैं तुम और वो यानी कोई भी दाता होने का
दावा न करे । दाता एक राम है । ये बुजुर्ग माह में एक बार आते हैं । भाव भरे भगवान
हैं हमारे लिए । बाबूजी से लेकर श्रृद्धा तक सभी इनकी सेवा में तत्पर रहते हैं ।
भिक्षुक देवता किसी घर में नहीं घुसते न ही एक माह में दोबारा ही आते हैं ।
कल जब ये आए थे तब मैंने कहा- आईए भोजन तैयार है
लेकिन भिक्षुक देवता ने इंकार करते हुए विनीत भाव से कहा - आज आपकी बारी नहीं
इन से हमें कुछ नहीं केवल आत्मिक आनंद मिलता है ।
भगवान की सेवा से आशीर्वाद मिले बस यही प्रार्थना है
भिक्षुक देवता किसी घर में नहीं घुसते न ही एक माह में दोबारा ही आते हैं ।
कल जब ये आए थे तब मैंने कहा- आईए भोजन तैयार है
लेकिन भिक्षुक देवता ने इंकार करते हुए विनीत भाव से कहा - आज आपकी बारी नहीं
इन से हमें कुछ नहीं केवल आत्मिक आनंद मिलता है ।
भगवान की सेवा से आशीर्वाद मिले बस यही प्रार्थना है
1 टिप्पणी:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व हास्य दिवस - अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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