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शनिवार, जून 18, 2016

चूमते पंखुरी चुभ जाएं हैं कांटे तुमको, ऐसे फूलों से गुलदान सजाते क्यों हो


रोज़ हालात रंजिश के  बनाते क्यों हो ....?
सुलह करने  मुंसिफ तलक जाते क्यों हो .?

चूमते पंखुरी चुभ जाएं हैं कांटे तुमको
ऐसे फूलों से गुलदान सजाते क्यों हो ?

मेरे किरदार में शामिल हो मुझसे ज़्यादा
तोहमतें मुझपे अक्सर लगाते क्यों हो ?

चैन से रहने दो उनको क़यामत के लिए
गड़े मुद्दों को, उखाड़ के लाते क्यों हों ?

उसकी फितरत है आस्तीन में छिप जाने की
सरे बाज़ार, आस्तीन, चढाते क्यों हो ?

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