10.4.16

सोशल मीडिया पर वायरल अभिशप्त गंधर्व : केशवलाल जी

आपको कभी लगता है कि सही ही है कि असाधारण प्रतिभा का धनी कोई गंधर्व शापित होकर क्या करता होगा कैसा रहता होगा इस धरती पर तो  आप इस कथा को अवश्य देखिये . श्री लंका में सैन्य कर्मियों का मनोरंजन करने वाले पिता से संगीत विरासत में पाकर केशव ने अपना हाथ हारमोनियम पर आज़माना और तब के गीतों को गाना  शुरू किया तो युवती सोनी बाई के इश्क में गिरफ्त हो गए . सोनी खुद संगीत की रसिक थीं . तब उनकी  उम्र 17 साल की थी. माया नगरी मुंबई तबकी बम्बई में वी. शांताराम के स्टूडियो के बाहर हारमोनियम पर फुदकतीं अँगुलियों ने शांताराम जी को मोहित कर लिया था.

केशव -सोनी           फोटो साभार :- राहुल राउत 

उनके लिए काम मुक़र्रर हुआ.नागिन में संगीत सहयोग दिया. परिवार के लिए नौकरी  न  स्वीकारंना केशव जी का ही निर्णय था . श्री केशव जी ने लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल जी के साथ भी काम किया.
 फिर पूना में फुटपाथी केशव  सपत्नीक  सडकों पर गीत गाकर मुश्किल से जीवन जी रहे थे कि एक दिन उन पर आनंद सराफ नाम के बैंक कर्मी की नज़र पड़ी फिर क्या था बैंक कर्मियों ने एक सहायतार्थ शो रख कर उनकी मदद की . शो के निदेशक थे श्री आशोक भारुक आर्केष्ट्रा के संचालक . और लोगों ने स्टेंडिंग ओबेशन देकर इस गंधर्व को सराहा. साथ ही उनको मिला 75 हज़ार रुपये की राशि प्रदान की गई. ये वो समय था जब श्री केशवलाल एवं सोनी बाई  को उम्र के आख़िरी पडाव में एक नशेमन नसीब होना था.   अभिशप्त गंधर्व केशव को गणेश मंडलों एवं सहयोगियों की मदद से एक लाख बीस हजार की रकम हासिल हो चुकी थी . और एस आर ए योजना के तहत उनको चौथे माले पर एक फ्लेट मिला. जहां वे अब सुकून से रह रहें हैं . पर उनका संगीत पुणे में आज भी गूंजता है .... अपनी अँगुलियों की ताकत के लिए ईश्वर की कृपा  मानते हैं .  
केशव अपनी पत्नी को अपना और खुद को पत्नि  का अनुपूरक मानते हैं .  
केशव पर  रोचक साहू ने एक डाक्यूमेंट्री A Bohemian Musician - Award winning FTII Documentary फिल्म भी बनाई .  जिसे आप https://www.youtube.com/watch?v=QspCH-4ttlE&nohtml5=False लिंक पर देख सकते हैं .         


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मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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