12.7.15

अंतरात्मा की आवाज़

मत कहो
अंतरात्मा की आवाज़ सुनो
मैंने सुनी हैं ये आवाजें
बहुत खतरनाक हैं भयावह हैं
तुम हिल जाओगे
बचाव के रास्ते न चुन पाओगे
पहले तुम
अंतरात्मा की आवाज़ सुनो
गुणों चिंतन करो
आगे बढ़ो मुझे न सिखाओ
न मैं बिना गले वाला हूँ
मेरे पास सुर हैं संवाद है
आत्मसाहस है
जो जन्मा है मेरे साथ
बोलूंगा अवश्य अंतर आत्मा की आवाज़ पर
तुम सुन नहीं पाओगे
मेरी अंतरात्मा से निकलीं
आवाजें जो तुम्हारी हैं
भयावह भी जो तुम्हारी छवि खराब करेगी
तुम्हारे बच्चे डरेंगे मुझे इस बात की चिंता है ...
**गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”  


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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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