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रविवार, मई 31, 2015

नदियों के घाटों पर महिलाओं की सुरक्षा : कुछ सुझाव

नदियों  के तटों पर  परिवार सहित भक्त जन  भक्ति भाव से आते हैं अपने बेटे  बेटियों बहुओं महिलाओं के साथ . कल शाम ग्वारीघाट पर आध्यामिक भ्रमण के दौरान मैंने भी स्नान किया देखा
जहां महिलाएं स्नान कर रहीं थीं वहां शोहदे टाइप के लोग अधिक सक्रीय थे . बाकायदा अपने सेलफोन से फोटोग्राफी में मशगूल भी थे.
          कुछ परिवारों ने विरोध भी जताया जो जायज था . भद्र मीडिया जिताना समय और स्पेस सनी लियोनी को अथवा सियासत को दे रहा है उससे आधा समय भी दे दे तो महिलाओं के खिलाफ होते इस सामाजिक नज़रिए को  बदला जा सकता है.

 मेरी तस्वीर को देखिये क्या मैंने
ग़दर फिल्म में काम किया है ?
          न्यू-मीडिया एरा  में सबसे फास्ट-इन्फार्मेशन स्प्रेड करने वाले सारे संसाधन मौजूद  हैं . पलक झपकते ही  आप की तस्वीर कहाँ जाएगी इस बात का आपको गुमान भी नहीं  हो पाता. फिर आपकी तस्वीर को सेलफोन पर मौजूद सॉफ्टवेयर के ज़रिये क्या से क्या बनाया जा सकता है इस बात का तो अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता . मेरी तस्वीर को देखिये क्या मैंने ग़दर फिल्म में काम किया है ... न फिर भी हीरो की ज़गह मेरी तस्वीर चस्पा है ... ये सॉफ्टवेयर का करिश्मा है . तो क्या कोई शोहदा महिलाओं बेटियों के चित्र के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता . मित्रो मेरे इस विचार पर चिंतन अवश्य कीजिये तथा सरकार से नदियों के किनारे वाले घाटों पर सेलफोन से चित्र लेना वर्जित करने के नियम बनाने के लिए अनुरोध अवश्य कीजिये . तब तक जब भी घाटों पर जाएं तो स्नान करने वाले घाटों पर  न खुद सेलफोन कैमरों अथवा अन्य कैमरों से फोटो लें न ही फोटो लेने दें . घाटों पर सेवा समितियां भी इस तरह की हरकतों को रोक सकती है . 
            जहां तक जबलपुर का सवाल है यहाँ  ग्वारीघाट, भेडाघाट, तिलवारा , आदि की प्रबंधन इकाइयों जैसे नगरपालिक निगम जबलपुर  , नगर-पंचायत  भेड़ाघाट, आदि  से अपेक्षा है कि वे महिलाओं के स्नान के लिए सुरक्षित स्थान का आरक्षण करें एवं महिलाओं को कपडे बदलने के लिए कवर्ड ढांचा बनाने की प्रक्रिया सबसे पहले करना चाहिए . 

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