3.4.15

“हर पुरुष संभावित रेपिस्ट” : नंदिता दास का नज़रिया

 “मेरी मर्जी” मैं ये करूं या वो करूं ........... ये सोचूँ या वो सोचूँ .......... ऐसे रहूँ या वैसे रहूँ सब कुछ मेरी मर्जी पर आधारित होना चाहिए . चलो माँ भी लिया जाए कि सबको  अपनी अपनी निजता के साथ जीने का हक़ है . इसके मायने ये भी तो निकलते हैं कि हर  किसी को  भी हक़ है कि अनावश्यक रूप से कोई भी कुछ भी बोल के  निजता पर आक्रामक हो जाए और उसे बलात्कारियों की कतार में बलात  ला खड़ा करे ........... पता नहीं क्या हो गया है लोगों को कि वे अनाप-शनाप बोले जा रहे है . नंदिता जी के हालिया बयान ने सभी  पुरुषों को  यह कह कर बलात्कारियों की कतार में खड़ा कर दिया है कि –“ हर पुरुष संभावित रेपिस्ट” है .
एक अजीब सी बेचेनी नज़र आ रही है सैलीब्रिटीज़ के विचारों में सभी आदिम स्वतन्त्रता के पक्षधर हो रहे है . मुझे अपने कालेज के दिन याद आ रहे हैं प्रोफ़ेसर स्वर्गीया  राजमती दिवाकर कहा करतीं थीं –“वक्तव्य देना जीभ को  तालू से मिला कर या हटा कर शब्द पैदा कर देना नहीं है .......... तुम्हारे दिमाग से शरारती जीभ नियंत्रित रहे वरना तुम्हारा वक्तव्य तुम्हारे दिमाग पर हथौड़े चलाएगा ! 5 मिनट तक तुमको  कुछ कहना है तो तुम्हैं कम से कम 25 घंटे पढ़ना चाहिए .  ” – लगता  नंदिता जैसी सेलेब्रिटीज को प्रोफ़ेसर दिवाकर जैसी विदुषी ने पढ़ाया होता .
अगर नंदिता इसी बात को कुछ यूं कहतीं – “हर किसी पुरुष पर सहज भरोसा नहीं किया जा सकता तो ”  
यद्यपि अपने बयान से निकलते अर्थ को समझने में नंदिता ने अपने बयान को वापस तो नहीं लिया बल्कि यह ट्वीट कर पीछे हटने की कोशिश की है कि ये कदापि न था कि हर पुरुष रेपिस्ट है .........  
इससे पहले भारतीय समाज को रंगभेद के कटघरे में खडा कर देने वाला बयान बी बी सी को दिया था कि - "भारत में अगर आप गोरी नहीं हैं, तो आप सुंदर नहीं हैं."

सोचने वाली बात ये है कि मीडिया में जगह पाने मॉससाइकिक रोगी जाने कब स्वस्थ्य होंगे . 

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मेरे बारे में

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जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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