6.11.14

ढोली अविरल बजाएगा ढोल : ढमन कड्डन.. कड्डन... कड्डन

मास्टर अविरल
गले में ढोल यूं लटकाते हैं
बड़े बड़े शरमा जाएं 

 यूं तो मास्टर अविरल  की उम्र छै: बरस
की पिछले महीने ही हुई है पर इन लिटिल-मास्टर साहबान में  सिद्धहस्त
 ढोली बनने के सारे गुण मौजूद हैं वो भी तीन बरस की उम्र से . अविरल की
माताजी श्रीमती रिंकी के अनुसार -"पाँव तो पालने में ही नज़र आ चुके थे. अवी
ने एक बरस की उम्र से  दौनों हाथों से टेबल बरतन को बजा बजा के बताने की
कोशिश की कि उसके साथ एक कलाकार भी जन्मा है माँ ..! "
 
व्हीकल-फैक्ट्री में कार्यरत श्री मनीष को माँ ने अपने पुत्र के अंतस के
कलाकार के बारे में बताया तो वे भी प्रभावित हुए. संकट इस बात का था कि क्या किया
जाए. समय बीतते बीतते
 अविरल का अन्य बच्चों की तरह  स्कूल जाना प्रारम्भ हुआ . परंतु ताल ने अवि
से नाता बनाए रखा. अखबारों के ज़रिये जब पता चला कि बालभवन में  “किलकारी
2014” के लिए आडिशन हो रहा है तो अवि के दादाजी और माँ रिंकी को राह मिल गई घरेलू
कामकाज के साथ तालमेल बैठाकर वे मास्टर अविरल को लेकर आ गए  बालभवन . बालभवन
की सदस्यता के साथ अब रोज़ अविरल बालभवन आते हैं.   वीरेन्द्र सिद्धराव और इंद्र पांडेय इनकी
प्रतिभा को मांजने में जुट गए हैं. बालभवन इस बार बालदिवस 2014  किलकारी
के रूप में शहीद-स्मारक भवन में आयोजित कर रहा है ... प्रशिक्षक मानते हैं कि – “अविरल
की  प्रस्तुति धमाकेदार होगी 






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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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