जी हाँ मैं
धर्म सापेक्ष हूँ ।
मेरा
धर्म सनातन है शाश्वत सनातन है । वो सनातन इस वज़ह से है क्योंकि उसमें विकल्प
और नए मिश्रण किये जाने योग्य तत्व मौजूद हैं इसी वज़ह से सनातन होकर भी नया
नया लगता है । जो रूढीयाँ हैं समयातीत हैं उसे हटाना या परामर्जित करना सम्भव है ।
धर्म को मैं सामाजिक सांस्कृतिक विधान मानता हूँ । ये मेरे विचार हैं मैं ऐसा सोचता
हूँ आपकी सहमति मेरा उत्साहवर्धन कर सकती है तो असहमति मुझे निराश नहीं कर सकेगी
बल्कि ताकत देगी कि मैं अपने कथन की पुष्टि के लिए अनुसंधान करूँ मैं बलात समर्थन
का पक्षधर नहीं । धर्म के लिए न मैं बन्दूक उठाऊंगा न ही प्रलोभन दूंगा । अगर कोई
हिंसा करेंगे तो मानवता की रक्षा के लिए आक्रामक हो सकता हूँ इसे मेरा कट्टर वादी
होना साबित न किया जावे । क्योंकि जीव मात्र की रक्षा करना मेरा धार्मिक अधिकार है
। तुम जिस धर्म की स्थापना आतंक के सहारे करना चाहते हो उसे मैं भी सम्मान देता
हूँ पर तुम्हारे आतंक को नहीं । मैंने यहूदियों के बारे में कुछ जाना है उनकी
संस्कृतियों के अंत के घटकों के बारे में सुना है चाहे जो भी हो ग़लत है सुनो बताता
हूँ कि सत्य सदैव सनातन है सनातन पथ सर्वे जना सुखिना भवन्तु के दिव्य प्रकाश से
दैदीप्यमान है । तुम अपने अबोध बच्चों को
विद्वेष मत सिखाओ वरना सर्वे जाना सुखिना भवन्तु का भाव आ ही न सकेगा.
मिर्ज़ा ग़ालिब ने कहा है कि
खुदा के वास्ते परदा ना काबे से उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा ना हो याँ भी वही काफ़िर सनम निकले
एक दिव्य सत्य कहा है मिर्ज़ा ने.. बेहतरी इसी में है कि बच्चों को इबादत सिखाओ
इबादत जो विनम्र और ज़हीन बनाती है । मुझे भी इबादतगाहों में दिव्यानुभूतियाँ हो
चुकीं है मुझे मंदिर में भी वही इहसास मिलता है । बच्चों को बताओ कि धर्म जो
वर्षों से मानवता का पोषक और संरक्षक है उसे सुरक्षित अथवा बचाने असलहे आवश्यक
नहीं होते ! तो क्यों ये सब करते हो ?
सोचो सनातन में साम्य भी है लचीलापन भी है । हिंसा नहीं है ।
राम ने केवल मानवता की रक्षा एवं अति भोगवादी असहिष्णु रक्षसंस्कृति से
रक्षार्थ युद्ध के लिए युवानर संगठित किये थे फिर युद्ध भी किया था राम का
यह प्रयास किसी राज्य के अंत के लिए न था । अन्यथा वे लंका को भारत का
उपनिवेश बनाते पर उनने द्वि राष्ट्रधर्म का पालन किया वे विभीषण को राजा बना आए ।
अर्थात सनातन विस्तार को अस्वीकारता है सहअस्तित्व का पोषक है सनातन अजर है
अमर है सार्वकालिक है क्योंकि वो साधने योग्य, समयानुकूलित एवं स्थानानुकूलित है ।
शायद आप इस बात को स्वीकारेंगे न भी स्वीकारें तो भी मेरे विचार हैं इस पर मेरा
नैसर्गिक अधिकार है .