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आयुक्त श्री दीपक खाण्डेकर को आदर्श केंद्र में जाकर हार्दिक प्रसन्नता हुई |
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एक बरस पहले जब आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडोरी का गांव शाहपुर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कुमारी रेनु शर्मा और उनकी सहायिका श्रीमति राधा नामदेव सहित सभी स्थानीय बाल विकास कार्यक्रम से जुडीं कार्यकर्ताओं से मैंने अनुरोध किया कि केंद्रों पर प्री-स्कूल गतिविधियां सुचारू रूप से संपादित कराईं जावें ताक़ि बच्चों की केंद्रों से उपस्थिति कम न हो तो सभी आंगनवाड़ी कर्मी को रास्ता न सूझ रहा था. सभी बेहद तनाव में थीं कि कैसे सम्भव होगा.. बच्चों को केंद्र में लम्बी अवधि तक बैठाए रखना .. बिना किसी संसाधन भी तो चाहिये.. सभी की सोच एकदम सही थी . मुझे भी इस बात का एहसास तो था कि बच्चे एक अनोखी और रंगीन दुनियां के साथ बचपन जीना चाहते हैं. मध्यम उच्च आय वर्गों के बच्चे प्ले ग्रुप में, घर में, संसाधनों एवम सुविधाओं से लैस होकर अपने-अपने बचपन में रंग भर पाते हैं. पर जहां अभाव है .. वहां ..?
वहां कुछ नवाचार ज़रूरी होता है. सीमित साधनों में की गईं असीमित कोशिशें कहीं कहीं असफ़ल भी हो जातीं हैं. हमने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कुमारी रेनु शर्मा और उनकी सहायिका श्रीमति राधा नामदेव को बताया कि- एकीकृत विकास कार्यक्रम यानी IAP के तहत एक आंगनवाड़ी केंद्र लगभग बन ही गया है. अब इस केंद्र को आप वहां शिफ़्ट करेंगी . हमने सरपंच श्री लोकसिंह परस्ते जी से सम्पर्क कर काम शीघ्र कराने का अनुरोध भी किया. सरपंच जी ने आश्वस्त किया कि वे नया साल आने से पहले ही आंगनवाड़ी केंद्र भवन पूर्ण कर देंगे. वचन के पक्के सरपंच श्री लोकसिंह परस्ते जी ने 1 जनवरी 2014 केंद्र भवन का निर्माण कार्य पूरा करवा कर उसमें आंगनवाड़ी केंद्र संचालन शुरू करवा दिया.
अब बारी थी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता- सहायिका की कि वे केंद्र में बच्चों की अधिकाधिक उपस्थिति सुनिश्चित करें. जो आसन न था. गीत कहानियां सुना सुनाकर बच्चों को बांध तो सकते हैं पर उससे जिग्यासा तृप्त नहीं हो सकती थी बच्चों की . बच्चे आते नाश्ता फ़िर प्रथम आहार लेते और घर जाने की ज़िद करते . कुछ तो रो-गाकर घर पहुंचाने की स्थिति खड़ी कर देते. बच्चों को जिन रंगों की तलाश थी शायद वे वहां पा नहीं रहे थे .
इस समस्या को को जब श्रीमति कल्पना तिवारी जिला कार्यक्रम अधिकारी के साथ साझा किया तो उन्हौंने मन में किसी योजना को रोप लिया. यह भी कहा कि कुछ खिलौने जन सहयोग से जुटाओ .कोशिशें कीं गईं किंतु महानगर के लिये यह आसान था हमारे डिंडोरी के लिये कठिन किंतु आप सब जानतें हैं कि जो कार्य कठिन होते हैं वही तो करने योग्य होते हैं. कलेक्टर श्रीमति छवि भारद्वाज़ के सामने जब ये बात साझा हुई तो “बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये कलेक्टर श्रीमति छवि भारद्वाज़ ने बढ़ाए कद़म : रचनात्मक सोच के साथ” उन्हौनें राह आसान कर दी एकीकृत विकास कार्यक्रम यानी IAP से संसाधनों वित्तीय सहायता मुहैया कराने का आश्वासन दिया आंगनवाड़ी केंद्र क्र. 3 शाहपुर को आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र बनाने की कोशिशें तेज़ हो गईं .
श्रीमति तारेश्वरी धुर्वे सेक्टर पर्यवेक्षक ने बताया की सामुदायिक बैठकों में अभिभावक माताओं को इस बात का भरोसा दिलाने में कुछ कठिनाई अवश्य हुई उनके बच्चों के लिये उससे भी अधिक कुछ जुटाया जा रहा है जो एक स्कूल द्वारा किया जाता है. और फ़िर अगस्त माह के आखिरी सप्ताह के आते ही केंद्र पर रंग-बिरंगे खिलौने भेजे गये. फ़िर क्या था कुल 25 बच्चों में से 22 से 24 की उपस्थिति होने लगी है. अब तो शिवा भी आने लगा है जिसे आंगनवाड़ी आना सख्त नापसंद था.
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Ø कार्यकारी अमले के साथ हमारा सतत संवाद रहे
Ø कार्यकारी अमले की कठनाईयों का हम मूल्यांकन करें
Ø समुदाय को विश्वास दिलाएं कि हम समुदाय के मित्र हैं और समुदाय के महत्वपूर्ण हिस्से का यानी बच्चों का सर्वांगींण विकास चाहते हैं
Ø हम अपना अनुभव साझा करें
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सेक्टर पर्यवेक्षक श्रीमति तारेश्वरी धुर्वे का बेटा पृथ्वी भी एकदम बच्चों में घुला मिला . तारेश्वरी अपने बेटे पृथ्वी को अक्सर फ़ील्ड भ्रमण के दौरान साथ ही रखतीं हैं. आज़ तो भरपूर उन्मुक्त वातावरण से पृथ्वी को वापस जाना पसंद न था .
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