30.8.14

आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र शाहपुर : प्रयासों की सफ़लता की झलक नज़र आ रही है..

आयुक्त श्री दीपक खाण्डेकर को आदर्श केंद्र
में जाकर हार्दिक प्रसन्नता हुई 
  माडल आंगनवाड़ी केंद्र डिंडोरी की गतिविधियों के अवलोकन के लिये 28.08.14 को जबलपुर से  कमिश्नर श्री दीपक खांडेकर ने डिंडोरी  कलेक्टर श्रीमति छवि भारद्वाज़ की क्रियेटिविटी का अवलोकन किया तो यकायक बोल उठे- "बड़ी तारीफ़ सुनी थी.. वैसा ही आदर्श केंद्र है. " उनके इस कथन ने हम सबको और अधिक उत्साहित कर दिया है. इस उच्च स्तरीय भ्रमण दल में श्री कर्मवीर शर्मा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डिंडोरी, एवम अन्य विभागों के अधिकारी भी थे.. आइये जानें क्यों मोहित हुए श्री खांडेकर ...  


                       एक बरस पहले जब आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडोरी का गांव शाहपुर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कुमारी रेनु शर्मा और उनकी सहायिका श्रीमति राधा नामदेव सहित सभी स्थानीय बाल विकास कार्यक्रम से जुडीं कार्यकर्ताओं से मैंने अनुरोध किया कि केंद्रों पर प्री-स्कूल गतिविधियां सुचारू रूप से संपादित कराईं जावें  ताक़ि बच्चों की केंद्रों से उपस्थिति कम न हो तो सभी आंगनवाड़ी कर्मी को रास्ता न सूझ रहा था. सभी  बेहद तनाव में थीं कि कैसे सम्भव होगा.. बच्चों को केंद्र में लम्बी अवधि तक बैठाए रखना .. बिना किसी संसाधन भी तो चाहिये.. सभी की सोच एकदम सही थी . मुझे भी इस बात का एहसास तो था कि  बच्चे एक अनोखी और रंगीन दुनियां के साथ बचपन जीना चाहते हैं.  मध्यम उच्च आय वर्गों के बच्चे प्ले ग्रुप में, घर में, संसाधनों एवम सुविधाओं से लैस होकर अपने-अपने बचपन में रंग भर पाते हैं. पर जहां अभाव है .. वहां ..?
वहां कुछ नवाचार ज़रूरी होता है. सीमित साधनों में की गईं असीमित कोशिशें कहीं कहीं असफ़ल भी हो जातीं हैं.  हमने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कुमारी रेनु शर्मा और उनकी सहायिका श्रीमति राधा नामदेव को बताया कि- एकीकृत विकास कार्यक्रम यानी IAP के तहत एक आंगनवाड़ी केंद्र लगभग बन ही गया है. अब इस केंद्र को आप वहां शिफ़्ट करेंगी . हमने सरपंच श्री लोकसिंह परस्ते जी से सम्पर्क कर  काम शीघ्र कराने का अनुरोध भी किया. सरपंच जी ने आश्वस्त किया कि वे नया  साल आने से पहले ही आंगनवाड़ी केंद्र भवन पूर्ण कर देंगे. वचन के पक्के सरपंच श्री लोकसिंह परस्ते जी ने 1 जनवरी 2014 केंद्र भवन का निर्माण कार्य पूरा करवा कर उसमें आंगनवाड़ी केंद्र संचालन शुरू करवा दिया.
अब बारी थी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता- सहायिका की कि वे केंद्र में बच्चों की अधिकाधिक उपस्थिति सुनिश्चित करें. जो आसन न था. गीत कहानियां सुना सुनाकर बच्चों को बांध तो सकते हैं पर उससे जिग्यासा तृप्त नहीं हो सकती थी बच्चों की . बच्चे आते नाश्ता फ़िर प्रथम आहार लेते और घर जाने की ज़िद करते . कुछ तो रो-गाकर घर पहुंचाने की स्थिति खड़ी कर देते. बच्चों को जिन रंगों की तलाश थी शायद वे वहां पा नहीं रहे थे .


इस समस्या को को जब श्रीमति कल्पना तिवारी जिला कार्यक्रम अधिकारी के साथ साझा किया तो उन्हौंने मन में किसी योजना को रोप लिया. यह भी कहा कि कुछ खिलौने जन सहयोग से जुटाओ .कोशिशें कीं गईं किंतु महानगर के लिये यह आसान था हमारे डिंडोरी के लिये  कठिन किंतु आप सब जानतें हैं कि जो कार्य कठिन होते हैं वही तो करने योग्य होते हैं. कलेक्टर श्रीमति छवि भारद्वाज़ के सामने जब ये बात साझा हुई तो “बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये कलेक्टर श्रीमति छवि भारद्वाज़ ने बढ़ाए   कद़म : रचनात्मक सोच के साथउन्हौनें राह आसान कर दी  एकीकृत विकास कार्यक्रम यानी IAP से संसाधनों वित्तीय सहायता मुहैया कराने का आश्वासन दिया आंगनवाड़ी केंद्र क्र. 3 शाहपुर को आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र बनाने की कोशिशें तेज़ हो गईं . 
 एक सप्ताह में हुआ बदलाव !!
श्रीमति तारेश्वरी धुर्वे सेक्टर पर्यवेक्षक ने बताया की सामुदायिक बैठकों में अभिभावक माताओं को इस बात का भरोसा दिलाने में कुछ कठिनाई अवश्य हुई उनके बच्चों के लिये उससे भी अधिक  कुछ जुटाया जा रहा है जो एक स्कूल द्वारा किया जाता है. और फ़िर अगस्त माह के आखिरी सप्ताह के आते ही केंद्र पर रंग-बिरंगे खिलौने भेजे गये. फ़िर क्या था कुल 25 बच्चों में से 22 से 24 की उपस्थिति  होने लगी है. अब तो शिवा भी आने लगा है जिसे आंगनवाड़ी आना सख्त नापसंद था.
 शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा में प्ले-ग्रुप के बच्चों के लिये ज़रूरी है कि उनको उनके शारीरिक मानसिक विकास के साथ साथ उनके सामाजिक-विकास के बिंदुओं को प्रथक प्रथक रूप से आंकलित किया जाए. इस क्रम में एक प्रबंधक के रूप में हमारे दायित्व है कि



Ø कार्यकारी अमले के साथ हमारा सतत संवाद रहे
Ø कार्यकारी अमले की कठनाईयों का हम मूल्यांकन करें
Ø समुदाय को विश्वास दिलाएं कि हम समुदाय के मित्र हैं और समुदाय के महत्वपूर्ण हिस्से का यानी बच्चों का सर्वांगींण विकास चाहते हैं
Ø हम अपना अनुभव साझा करें

        इस ज़िम्मेदारी के निर्वहन के लिये मैं अपने जिला अधिकारी श्रीमति कल्पना रिछारिया तिवारीएवम अधीनस्त पर्यवेक्षक श्रीमति तारेश्वरी धुर्वे के साथ केंद्र खुलने के साथ ही  दिनांक 28.08.2014 को पूरे दिन के लिये केंद्र पर पहुंचे . आज़ देखा कि अधिकांश अभिभावक माताएं स्वयं ही बच्चों को केंद्र पर ला रहीं हैं. इस परिवर्तन की पतासाजी करने पर पता चला कि  रंग बिरंगे केंद्र भवन में खिलौनों की भरमार, उन्मुक्त-विकास के अवसरों के लिये मौज़ूद संसाधनों ने बच्चों को मोहित कर रखा है. और बच्चे अब स्वयं मां से आंगनवाड़ी केंद्र जल्द पहुंचने की ज़िद्द करने लगे हैं. शिवा जिसे आंगनवाड़ी केंद्र में आना सख्त ना पसंद था अपने दस वर्षीय चाचा करन के साथ आ ही गया.   केंद्र पर बच्चों ने बाहर अपने जूते-चप्पल उतारे . और लम्बे सुर में रेनू.. दीदी नमस्ते कहा . रेनू शर्मा ने मुस्कुराते हुए बच्चों का स्वागत किया. और फ़िर सभी बच्चों को एक घेरे में बैठाकर मुक्त-वार्तालाप शुरु किया. एक ओर नीलम बड़े ध्यान से रेनु दीदी को निहार रही थी. वहीं नव्या की नज़र सायकल पर थी. प्रगति भी तो फ़िसलपट्टी को अपलक निहारने में व्यस्त थी.. कुल मिला कर संवाद खत्म होने की प्रतीक्षा कर रहे थे बच्चे और इस बीच सांझा-चूल्हा से नाश्ता आ गया . सहायिका  श्रीमति राधा नामदेव ने तब तक बाहर हाथ धोने की जुगत संजो दी थी. साथ ही दरी और पोषाहार के खाली बैग्स की बिछायत लगा भी तैयार थी . हाथ धोकर बच्चे एक कतार में अपनी पसंदीदा जगहों पर बैठ गए. सहायिका ने नाश्ता परोसा पर क्या मज़ाल कि कोई बच्चा बिना दीदी के संकेत के खाना शुरु कर दे . बच्चे प्रार्थना के पहले नहीं खाते. ईश्वर को आहार देने के लिये आभार अभिव्यक्त्ति कराई तब कहीं बच्चों ने खाना शुरु किया.  फ़िर लगातार एक घंटे तक बच्चों ने खूब मस्ती की जी भर झूले, जी भर रस्सी कूदी गई.. किसी ने चाक से दीवार पर लम्बी छोटी लक़ीरें खींची.
सेक्टर पर्यवेक्षक श्रीमति तारेश्वरी धुर्वे का बेटा पृथ्वी भी एकदम बच्चों में घुला मिला . तारेश्वरी अपने बेटे पृथ्वी को अक्सर फ़ील्ड भ्रमण के दौरान साथ ही रखतीं हैं. आज़ तो भरपूर उन्मुक्त वातावरण से पृथ्वी को वापस जाना पसंद न था .
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