23.4.13

तुम्हारी तापसी आंखों के बारे में कहूं क्या ? अभी तक ताप से उसके मैं उबरा नहीं हूं....!!

छायाकार वत्सल चावजी
तुम्हारी तापसी आंखों के बारे में कहूं क्या ?
अभी तक ताप से उसके मैं उबरा नहीं हूं....!!

समन्दर सी अतल गहराई वाली नीली आंखों ने
निमंत्रित किया है मुझको सदा ही डूब जाने को,
डूबता जा रहा हूं कोई तिनका भी नहीं मिलता ....
अगर मन चाहे जो  साहिल पे लौट आने को !
     तुम ही ने तो बुलाया है कहो क्या दोष है मेरा
     समंदर में प्रिये मैं खुद-ब़-खुद उतरा नहीं हूं..!!

तुम्हारे रूप का संदल महकता मेरे सपनों में
हुआ रुसवा बहुत,जब भी बैठा जाके अपनों में
किसी नेयेकहा और कोई कहकेवोमुस्काया
 मैं पागल हो गया हूं कहते सुना नुक्कड़ के मज़मों में .
     यूं अनदेखा कर कि जी पाऊंगा अब आगे-
      नज़र मत फ़ेर मुझसे गया गुज़रानहीं हूं मैं !!




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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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