जिसे देखो अपने मक़सद का मुसाफ़िर है यहां-
तंग रस्ते से बताएं आप जाते हैं कहां..?
जिसे देखो खुदपरस्ती में बहुत मशरूफ़ है-
कहो क्या तुम उसी बस्ती से आए हो यहां..?
कुछ शरारे तुम्हारे चोगे पे कहीं जा न गिरें-
दृदय के ज्वालामुखी का रास्ता आंखैं यहां.
दोस्ती का हलफ़नामा मांगने वाले सम्हल-
"रेत की बुनियाद पे महल बनते हैं कहां ?"
तंग रस्ते से बताएं आप जाते हैं कहां..?
जिसे देखो खुदपरस्ती में बहुत मशरूफ़ है-
कहो क्या तुम उसी बस्ती से आए हो यहां..?
कुछ शरारे तुम्हारे चोगे पे कहीं जा न गिरें-
दृदय के ज्वालामुखी का रास्ता आंखैं यहां.
दोस्ती का हलफ़नामा मांगने वाले सम्हल-
"रेत की बुनियाद पे महल बनते हैं कहां ?"