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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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6 टिप्पणियां:
मन की भावनाओं को अभिव्यक्ति देती ..
तीनों रचनाएं अच्छी हैं ..
शुभकामनाएं !!
तीनों रचनाओं के अलग अलग रंग मन में गहरी छाप छोड़ते हुये.
आपको शायद यहाँ आना अच्छा लगे....
http://mithnigoth2.blogspot.in/2012/03/blog-post_17.html
तीनो ही रचनाएँ एक से बढ़कर एक हैं ... बहुत खूबसूरत अहसास... आभार
बहुत सुंदर, आनन्दविभोर कर देने वाली.
कमाल की रचनाएँ हैं तीनों ... लाजवाब ...
ekdum man ko chho kiya apne to. pahli wali kavita ne bhawbibhore kar diya mujh ko.. AAKARSHAK!!
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