5.3.12

बूंद से नदी बन जाने की उत्कंठा


बेशक बूंदें ही रहीं होंगी
जिनने एकसाथ
 सोचा होगा-"चलो मैली चट्टानों को
रेतीली मटमैली ढलानों को
धो आते हैं..!!
ऊसर बंजर को हरियाते हैं !!
मर न जाएं प्यासे बेज़ुबान
चलो उनकी प्यास बुझा आतें हैं...!!"
कुछेक बोली होंगी- "हम सब मिलकर धार बनेंगी..
सारी नदियों से विलग हम उल्टी बहेंगी
उल्टे बहाव का कष्ट सहेंगी..?
न हम तो...!
तभी उनको कुछ ने डपटा होगा
एक जुट बूंदों ने बहना
शुरु किया होगा तब

हां तब
जब न हम थे न हमारी आदम जात
तब शायद कुछ भी न था
पर एक सोच थी
बूंदों में
एक जुट हो जाने की
बूंद से नदी बन जाने की उमंग और उत्कंठा ..!
लो ये वही नदियां हैं
जिनको कहते हैं हम नर्मदा या गंगा !!
नदियां जो धुआंधार हैं-
काले मटमैले पहाड़ों को धोती
तुमसे भी कुछ कह रहीं हैं
एकजुट रहो तभी तो चट्टानों के घमंड
तोड़ पाओगे ....
वरना ऐसे ही बूंद-बूंद ही मर    जाओगे..!!


6 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

जय नर्मदे!

Rahul Singh ने कहा…

बूंद, नदी का बीज-मंत्र.

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

"हम सब मिलकर धार बनेंगी
सारी नदियों से विलग हम उल्टी बहेंगी
उल्टे बहाव का कष्ट सहेंगी..? प्रेरक प्रस्तुति.............
स: परिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं........

रविकर ने कहा…

बढ़िया विश्लेषण पढ़ा, कविवर तुम्हें प्रणाम ।

मातु नर्मदा का किया, वर्णन विविध तमाम ।
वर्णन विविध तमाम, बनी गंगा सी पावन ।
सींचे पेड़-पहाड़, अमर-कंटक से उपवन ।
सबसे बढ़िया बात, बूंद ताकत दिखलाए ।
एकल क्या औकात, मिले धरा बन जाए ।।

दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक

dineshkidillagi.blogspot.com


होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Bahut khoob ... Prerna deti hai ye rachna ... Mil ke rahne ka path padhta ...

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

हार्दिक आभार
सब उसकी दिव्याभा है जो
हम चमक लेते हैं कभी

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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