14.12.11

जी रहे हैं हम सिग्मेंट में

पृथ्वीराज चौहान
"क्या खबर लाए हो खबरची...!" मोहम्मद गोरी ने पूछा
खबरची-ज़नाब, हिंदुस्तानी राजा की फ़ौज में खाना चल रहा
किस तरह खाना खा रहे हैं..?
गुस्ताख़ी माफ़ हो हुज़ूर...! आम इंसान जैसे
फ़िर से जाओ.. गौर से देखो..
   खबरची फ़िर गया.. और फ़िर अबकी बार वो बता पाया कि सैनिक अपने अपने ओहदों के हिसाब से खेमों में भोजन कर रहे हैं..
    खाने के लिये बिछे दस्तरख़ान पर गोरी ने उस खबरी को अपने क़रीब बैठाया सभी ने बिस्मिल्लाह की खाते खाते गोरी  तेज़ आवाज़ में बोला-’दोस्तो, इस बात को मैं पहले से ही जानता हूं. ये लोग खा-पी एक साथ नहीं रहे हैं.. इनको हराना उतना मुश्कि़ल नही है. तभी तो मैं बार बार कहता हूं हम ज़रूर जीतेगें.. हुआ भी यही.
                     यही है आज़ का  सच !  आज़ भी हम हमेशा हार जाते हैं,एक नहीं हैं न..?
हममें ऐसा भारत पल रहा है जो हमने खुद अपने लिये बनाया है. ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों, शूद्रों के अपने अपने भारत हैं, हिंदी वाला,मराठी वाला, गुजराती वाला, मद्रास वाला, जाने कितने भारत बना लिये इतने तो महाभारत में भी न थे. तभी तो   कसाब-अफ़ज़ल हमारे आंसुओं पर हंसते हैं. हम हैं कि उस सिग्मेंट का मुंह ताक रहे जिसे हम नज़र ही नहीं आते..
                          काश राम लीला मैदान से एक चौथाई हिस्से में ही सही एक बार तो हम  अफ़ज़ल के अंत के लिये जमा हो जाते.. किंतु होते कैसे हम जो जी रहे  हैं सिग्मैंट में..!!

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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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