| दूर तक निगाहैं   जमा जमा के  लोगों नपुंसक-भीड़   में  एकाध जिगरे   वाले को ...  जो दिखता नहीं   हैं.. अपने हरामखोर   बास  को बाहर  से गरियाते  और सामने  एक पुचकार की   बाट जोहते   मुंह से ऊं   कूं कूं .. आवाज़ निकालते लोग !! मज़बूरी हैं.. हरवक़्त  वफ़ादारी की गवाही पेश   करना  उनके लिये  ज़रूरी है..!! कुत्ते की तरह   वफ़ादारी  चाहते है   मालिक..  ज़रूर वफ़ादार   रहो  पर ऐसा न हो   कि  कुत्ते के कुछ और दुर्गुण आ जाएं तुम में .. आचार-विचार और   आहार से  कुत्ता न बनना   मेरे दोस्त !! Ø   गिरीश बिल्लोरे “मुकुल” | 
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बुधवार, सितंबर 07, 2011
एक पुचकार की बाट जोहते मुंह से ऊं कूं कूं .. आवाज़ निकालते लोग !!
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