11.8.11

मित्र जिसका विछोह मुझे बर्दाश्त नहीं

   
                   ख़ास मित्र के लिए ख़ास पोस्ट प्रस्तुत है.. आप लोग चाहें इसे अपने ऐसे ही किसी ख़ास मित्र को सुनवा  सकते .... 




ऐसे मित्रों का विछोह मुझे बर्दाश्त नहीं. आप को भी ऐसा ही लगता होगा.. चलिये तो देर किस बात की
ये रहा मेरा मित्र जो नाराज़ है मुझसे यह एक मात्र तस्वीर है  इनके पास जिनका हार्दिक आभारी हूं.

4 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

मेरी तो पिक्चर मे देखने से ही जान निकल जाती है………बहुत डर लगता है।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

अच्‍छा हुआ नेपथ्‍य में ही रही फोटो, ऐसी मित्रता हम तो नहीं कर पाएंगे।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

aise mitron ki kami nahi aajkal........

इन्दु पुरी ने कहा…

डरा दिया दुष्ट! वैसे हमने इनसे फुन्फकारना सीखा है बचपन से ही हाँ डंसना नही सीख पाए.हा हा हा पाला पड़ा इनसे...पर ये आस्तीन में पलने लगे हा हा हा क्या करें?कमी भी तो नही इनकी बिरादरी के लोगों की.वैसे इसमें कोई शक नही ख़ूबसूरती और भयावहता का इतना प्यारा उदाहरण और कोई नही.

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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