30.6.11

वो आदमी सुलगाया जाता है..!!


सुबह  अखबार बांचते ही
चाय की चुस्कियों के साथ एकाध गाली
निकल जाती है
अचानक
मुंह से उसके
व्यवस्था के खिलाफ़ !
फ़िर अचानक बत्ती का गुम होना
बिजली वालों की
मां-बहनों से शाब्दिक दुराचरण
सब्जी के दाम सुन कर
फ़िर उसी अंदाज़ में एक बार फ़िर
मंत्र की तरह गूंजती गालियां..!!
अचानक मोबाईल पर
बास का न्योता भी उसे पसंद नहीं..आता
हर बार तनाव के कारणों पर
वो बौछार कर देता है
अश्लील गालियों की
शाम
बेटी के हाथ से रिमोट ले
समाचार देखता वो
झल्ला जाता है
पर्फ़्यूम के “ब्लू-फ़िल्मिया-एड”
देख कर ..!
फ़िर लगा लेता है मिकी-माउस वाला चैनल
 अच्छा है उसमें इतनी तमीज़ तो है
बेटी के सामने गाली न देने की..!!
सोचता हूं..
फ़िर भी दिन भर में
कितनी बार
और क्यों
भभकता है
ये आदमी
करता है कितनों की 
मां बहनों से
शाब्दिक दुराचरण..?
नहीं सच है 
वो ये सब न करता था
पहले कभी !
सुलगता भी न था
भभकता भी तो न था
आज़कल क्या हुआ उसे
तभी
सेंटर-टेबिल पर रखा
अखबार फ़ड़फ़ड़ाया
दीवार पर टंगा टी.वी. मुस्कुराया
अब समझा
वो आदमी सुलगाया जाता है
रोज़
इन्हीं के ज़रिये

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत गहरी अभिव्यक्ति!!

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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