18.6.11

आज़ दो प्रेम गीत इधर भी

तुम बात करो मैं गीत लिखूं
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कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो
कुछ ताने बाने अब तो बुनो
जो बीत गया वो सपना था-
जो आज़ सहज वो अपना है
तुम अलख निरंजित हो मुझमें
मन चाहे मैं तुम को भी दिखूं
            तुम बात करो मैं गीत लिखूं
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तुम गहराई  सागर सी
भर दो प्रिय मेरी गागर भी
रिस रिस के छाजल रीत गई
संग साथ चलो दो जीत नई
इसके आगे कुछ कह न सकूं
         तुम बात करो मैं गीत लिखूं
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तुमको को होगा इंतज़ार
मन भीगे आऎ कब फ़ुहार..?
न मिल मिल पाए तो मत रोना
ये नेह रहेगा फ़िर उधार..!
मैं नेह मंत्र की माल जपूं
         तुम बात करो मैं गीत लिखूं
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रुक जाओ मिलना है तुमसे , मत जाओ यूं जाल बिछाके


तुम संग नेह के भाव जगाके
बैठ थे हम   पलक भिगाके
कागा शोर करे नीम पर -
मीत मिलन की आस जगाके
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नेह निवाले तुम बिन कड़्वे
उत्सव सब सूने लगते हैं,
तुम क्या जानो विरह की पीडा
मन रोता जब सब हंसते हैं.
क्यों आए मेरे जीवन में- आशाओं का थाल सजाके.
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ज़टिल भले हों जाएं हर क्षण
पर  तुम  हो मेरे  सच्चे  प्रण..!
जब भी मुझको स्वीकारोगे-
तब होंगे मदिर मधुर क्षण..!!
रुक जाओ मिलना है तुमसे , मत जाओ यूं जाल बिछाके

4 टिप्‍पणियां:

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

प्रेम है ही ऐसी चीज, इसके बिना जीवन अधूरा है।

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ब्‍लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
2 दिन में अखबारों में 3 पोस्‍टें...

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

अच्छे प्रेमगीत हैं...

Patali-The-Village ने कहा…

प्रेम के बिना जीवन अधूरा है।

आशुतोष की कलम ने कहा…

तुम बात करो मैं गीत लिखूं
वाह... प्रेम की अद्भुत अभिव्यक्ति ...

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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