5.4.11

एक आम आदमी के ब्लॉग से...एक पोस्ट

नही जानती उनका नाम क्या है पर है बस एक आम आदमी-- जो लिखना चाहता है... और जिसके अन्दर डर है तो दर्द भी, प्रेम है तो नफ़रत भी, ,और गुस्सा भी, सुनिए उनकी एक पोस्ट..

एक शानदार और ईमानदार रचना---डॉ.अमर कुमार
बात में दम है - मगर समझना तो आखिर हमें ही है न!---स्मार्ट इंडियन

 


7 टिप्‍पणियां:

अनुभूति ने कहा…

शानदार पोस्ट ,
आदमी अपने गुणों से अपनी जगह बनाता हैं |लेकिन हम भले ही कितने विकसित हो जाए ,आज भी भारतीय समाज अपनी
जगह खड़ा हैं ,सही बात कही हैं इसका दर्द वो ही बेहतेर बता सकता हैंजो जाती गत भेदभाव से पीड़ित होता हैं |
बाते अपनी जगह लेकिन समाज अपनी जगह हैं |लेकिन कुछ लोगो को तो इसके खिलाफ होना ही होगा न |

Gautam RK ने कहा…

Behad Shandar Post!!!


"RAM"

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा..बेहतरीन.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बेहतरीन ....बहुत ही उम्दा रचना चुनी है आपने....

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

आपने इसे सुन्दर बना दिया... धन्यवाद प्रिय बहन का...

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

बधाई हो जी

Smart Indian ने कहा…

अर्चना जी और भारतीय नागरिक, आप दोनों का धन्यवाद!

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

Wow.....New

अलबरूनी का भारत : समीक्षा

   " अलबरूनी का भारत" गिरीश बिल्लौरे मुकुल लेखक एवम टिप्पणीकार भारत के प्राचीनतम  इतिहास को समझने के लिए  हमें प...

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में