25.4.11

बाबा की उस सम्पत्ति की चर्चा करो जो मानव कल्याण के लिये बिखरी पड़ी है

ये  विषय नही कि संस्थान के पास क्या है,उसका क्या होगा, उसे कौन संचालित करेगा.चर्चा तो इस बात की होनी चाहिये  कि बाबा ने कितने  जीवनो को पारस-मणि सा स्पर्श दिया और लोहे से सोने सा बना दिया...? किसी भी योगी  की आध्यात्मिक शक्ति को न देख पाना हमारे चिंतन की अपरिपक्कवता ही है. लोग मंदिर की भव्यता से ईश्वर की शक्ति को तौलते हैं . किसने कहा ईश्वर सिर्फ़ भव्य मंदिरों में ही मिलते हैं.भक्त के मन में भगवान का स्वरूप किसी "धनाड्य" सा होगा तभी भक्त प्रभावित होगा ऐसा सोचना भी मिथ्या है.सत्य साई बाबा के लोककल्याण की अवधारणा का समापन उनके शारीरिक अवसान के बाद भी जारी रहेगा.क्योंकि बाबा का देह त्याग एक लीला मात्र है. वे आध्यात्मिक रूप से आत्माओं में सृष्टि के अनंत विस्तार तक रहेंगें.   
  बाबा को आप  सतही अपनी आंखों से देखना है न कि सतही खबरों के ज़रिये तभी तो बाबा की उस सम्पत्ति की चर्चा कर सकोगे  जो मानव कल्याण के लिये बिखरी पड़ी है. जो हुआ है. बाबा के आश्रम की चिंता तुम मत करो बस चिंतन करो 



5 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

जी, मुझे भी यही लग रहा है कि लोग (खबरिया चैनल और नेता) बाबा के कल्याणकारी कार्यों के विषय में सोचने के स्थान पर उनके ट्रस्ट का वारिस तलाशने की जल्दी में लगे हैं...

chinmay billore ने कहा…

i like this post chacha its reality of indian culture

राज भाटिय़ा ने कहा…

यह चित्र मे जो बाबा हे इन की तो कोई सम्पति थी ही नही यह फ़कीर थे मस्त मलंग जो मिला उसे भी बांट दिया यह सच मे पुजनिया थे, ओर जिस के पास समपति हे वो पुजनिया नही, ओर मेरी नजर मे वो सम्पति एक कुडे से बढ कर नही,

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

सत्य साई के मार्गदर्शन में काम होता था और होगा भी
सम्पत्ति दूसरे अवतार के लिये भी सेकण्डरी थी है भी.
हमे बाबाओं के आध्यात्मिक स्वरूप पर आस्था है. सच यही है

Shikha Kaushik ने कहा…

bilkul sahi kaha hai aapne .sadhu sant ki sampatti to unke dwara kiye gaye achchhe kaam hain .bahut sarthak post .aabhar

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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